Zero Oil 151 Nashte Namkeen in Hindi (जीरो ऑयल 151 नाश्ते नमकीन)

249.00

नाश्ते को हल्का भोजन कहा जा सकता है जो नियमपूर्वक लिए जाने वाले भोजन के अलावा या बीच में लिया जाता है। ऐसे लोग जिनकी दिनचर्या अति व्यस्त है जिस वजह से वे समय से भोजन नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में कभी-कभी ये नाश्ते ही भोजन का स्थान ले लेते हैं। विभिन्न भारतीय व्यंजनों में, नाश्तों का अपना महत्त्व है। हम आमतौर पर जो नाश्ता लेते हैं उनमें जो तेल इस्तेमाल किया जाता है उसमें 99% वसा होती है। पिछले बीस सालों के शोध से यह साबित हुआ है कि ट्राइग्लिसराइड हृदय रोगों के लिए उतना ही जिम्मेदार है जितना कोलेस्ट्रोल। नाश्ता बनाने की विभिन्न भोजन विधियों में प्रयुक्त तेल और कुछ नहीं ट्राइग्लिसराइड ही हैं। इन तेलों में कैलोरी मात्रा भी अधिक होती है जो मोटापे, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप का कारण बनती है।
आधुनिक युग में अधिकतर मनुष्यों की व्यस्त जीवन शैली है जिसके कारण वे अत्यधिक तनावपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। इसलिए उनकी जीवन शैली बीमारियों की वजह बनती है इसलिए हमें अपने भोजन में तेल की मात्रा कम कर देनी चाहिए। इसका सबसे आसान और सरल तरीका है जीरो ऑयल। इसीलिए लिखी गयी है यह जीरो ऑयल कुक बुक। जीरो ऑयल से बने हुए व्यंजन स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक हैं। आपको क्या चाहिए ‘तेल या स्वाद’?

 

About the Author

डॉ बिमल छाजेड़ एम. डी. एक जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ हैं जिन्होंने भारत में हृदय की देखभाल और उपचार की जागरूकता फैलाने के लिए ‘साओल हार्ट प्रोग्राम’ की स्थापना की । वे राजस्थान से हैं परन्तु उनका पालन-पोषण कोलकाता में हुआ । इन्होंने सभी उपायों और अवधारणाओं को इकट्ठा करके हृदय रोगों के उपचार को विज्ञान और कला के रूप में विकसित किया । उनके उपायों पर अमल करके हजारों रोगी बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी के खतरे से बच गए और अपना इलाज स्वयं कर पाए ।

डॉ छाजेड़ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में छह वर्ष तक काम करते हुए इस अभियान को विकसित किया । उन्होंने ग्यारहवें अंटार्कटिका अभियान में आयुर्विज्ञान संस्थान का प्रतिनिधित्व किया था उन्होंने न केवल इस देश में बल्कि पूरी दुनिया में इस विषय पर व्याख्यान दिए हैं और पिछले 15 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं । उन्होंने निम्न लिखित पुस्तकें भी लिखी हैं-

रिवर्सल ऑफ हार्ट डिजीज इन फाइव ईजी स्टेप्स (अंग्रेजी)
फूड फॉर स्विस रिवर्सिग हार्ट डिजीज (अंग्रेजी)
हृदय रोग से मुक्ति
अंडरस्टैडिंग हार्ट डिजीज (अंग्रेजी)
हृदय रोग सामान्य जानकारी जीरो ऑयल कुक बुक (हिन्दी और अंग्रेजी)
जीरो ऑयल स्वीट बुक (हिन्दी और अंग्रेजी)
जीरो ऑयल नमकीन बुक (हिन्दी और अंग्रेजी)
जीरो ऑयल साउथ इंडियन कुक बुक (हिन्दी और अंग्रेजी)
हृदय रोगियों के लिए 201 टिप्स (हिन्दी और अंग्रेजी)
जीरो ऑयल थाली (हिन्दी और अंग्रेजी)
स्ट्रेस मैनेजमेंट गाइड (हिन्दी और अंग्रेजी
वे हृदय संबंधी विषयों पर जानकारी देने के लिए ‘हार्ट टॉक’ नामक मासिक पत्रिका भी निकालते हैं । अब यह पत्रिका ‘हृदय’ नाम से हिन्दी में भी प्रकाशित होती है । साओल हार्ट प्रोग्राम व उनके बारे में विभिन्न पत्रिकाओं तथा समाचार-पत्रों में 1000 से भी ज्यादा लेख छप चुके हैं । उन्हें प्रायः टी.वी. समाचार और वार्ता कार्यक्रमों में निमंत्रित किया जाता है ।

डॉ. छाजेड़ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर 1995 में ‘जीवन शैली और हृदय’ पर नई दिल्ली के इंडिया हैबीटेट सेंटर में पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था । इसी क्रम में दूसरा आयोजन उसी स्थान पर नवंबर 1999 में किया गया । उन्हें अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

Additional information

Author

Dr. Bimal Chajjer

ISBN

9789355992970

Pages

110

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9355992971

Flipkart

https://www.flipkart.com/zero-oil-151-nashte-namkeen-hindi/p/itm330e1ead06407?pid=9789355992970

ISBN 10

9355992971

नाश्ते को हल्का भोजन कहा जा सकता है जो नियमपूर्वक लिए जाने वाले भोजन के अलावा या बीच में लिया जाता है। ऐसे लोग जिनकी दिनचर्या अति व्यस्त है जिस वजह से वे समय से भोजन नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में कभी-कभी ये नाश्ते ही भोजन का स्थान ले लेते हैं। विभिन्न भारतीय व्यंजनों में, नाश्तों का अपना महत्त्व है। हम आमतौर पर जो नाश्ता लेते हैं उनमें जो तेल इस्तेमाल किया जाता है उसमें 99% वसा होती है। पिछले बीस सालों के शोध से यह साबित हुआ है कि ट्राइग्लिसराइड हृदय रोगों के लिए उतना ही जिम्मेदार है जितना कोलेस्ट्रोल। नाश्ता बनाने की विभिन्न भोजन विधियों में प्रयुक्त तेल और कुछ नहीं ट्राइग्लिसराइड ही हैं। इन तेलों में कैलोरी मात्रा भी अधिक होती है जो मोटापे, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप का कारण बनती है।
आधुनिक युग में अधिकतर मनुष्यों की व्यस्त जीवन शैली है जिसके कारण वे अत्यधिक तनावपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। इसलिए उनकी जीवन शैली बीमारियों की वजह बनती है इसलिए हमें अपने भोजन में तेल की मात्रा कम कर देनी चाहिए। इसका सबसे आसान और सरल तरीका है जीरो ऑयल। इसीलिए लिखी गयी है यह जीरो ऑयल कुक बुक। जीरो ऑयल से बने हुए व्यंजन स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक हैं। आपको क्या चाहिए ‘तेल या स्वाद’?

 

About the Author

डॉ बिमल छाजेड़ एम. डी. एक जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ हैं जिन्होंने भारत में हृदय की देखभाल और उपचार की जागरूकता फैलाने के लिए ‘साओल हार्ट प्रोग्राम’ की स्थापना की । वे राजस्थान से हैं परन्तु उनका पालन-पोषण कोलकाता में हुआ । इन्होंने सभी उपायों और अवधारणाओं को इकट्ठा करके हृदय रोगों के उपचार को विज्ञान और कला के रूप में विकसित किया । उनके उपायों पर अमल करके हजारों रोगी बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी के खतरे से बच गए और अपना इलाज स्वयं कर पाए ।

डॉ छाजेड़ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में छह वर्ष तक काम करते हुए इस अभियान को विकसित किया । उन्होंने ग्यारहवें अंटार्कटिका अभियान में आयुर्विज्ञान संस्थान का प्रतिनिधित्व किया था उन्होंने न केवल इस देश में बल्कि पूरी दुनिया में इस विषय पर व्याख्यान दिए हैं और पिछले 15 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं । उन्होंने निम्न लिखित पुस्तकें भी लिखी हैं-

रिवर्सल ऑफ हार्ट डिजीज इन फाइव ईजी स्टेप्स (अंग्रेजी)
फूड फॉर स्विस रिवर्सिग हार्ट डिजीज (अंग्रेजी)
हृदय रोग से मुक्ति
अंडरस्टैडिंग हार्ट डिजीज (अंग्रेजी)
हृदय रोग सामान्य जानकारी जीरो ऑयल कुक बुक (हिन्दी और अंग्रेजी)
जीरो ऑयल स्वीट बुक (हिन्दी और अंग्रेजी)
जीरो ऑयल नमकीन बुक (हिन्दी और अंग्रेजी)
जीरो ऑयल साउथ इंडियन कुक बुक (हिन्दी और अंग्रेजी)
हृदय रोगियों के लिए 201 टिप्स (हिन्दी और अंग्रेजी)
जीरो ऑयल थाली (हिन्दी और अंग्रेजी)
स्ट्रेस मैनेजमेंट गाइड (हिन्दी और अंग्रेजी
वे हृदय संबंधी विषयों पर जानकारी देने के लिए ‘हार्ट टॉक’ नामक मासिक पत्रिका भी निकालते हैं । अब यह पत्रिका ‘हृदय’ नाम से हिन्दी में भी प्रकाशित होती है । साओल हार्ट प्रोग्राम व उनके बारे में विभिन्न पत्रिकाओं तथा समाचार-पत्रों में 1000 से भी ज्यादा लेख छप चुके हैं । उन्हें प्रायः टी.वी. समाचार और वार्ता कार्यक्रमों में निमंत्रित किया जाता है ।

डॉ. छाजेड़ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर 1995 में ‘जीवन शैली और हृदय’ पर नई दिल्ली के इंडिया हैबीटेट सेंटर में पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था । इसी क्रम में दूसरा आयोजन उसी स्थान पर नवंबर 1999 में किया गया । उन्हें अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।