स्वामी ज्ञानभे�� की नवीन रचना ‘ओशो मयखाने के ये दीवाने रिंद’ लेखक और सजीव पात्रों के बीच उभरता भावनात्मक गठबंधन है। लेखक ने यहां रिंदों की तमाम संगत- असंगत हरकतों को कलमबद्ध करने का जो एक सफल प्रयास किया है उसे देखकर लगता है कि वह भी ओशों के प्रवचनों के कम पियक्कड़ नहीं है। लेखक ने यथा संभव रिंदों के साथ गुजारे गए क्षणों को अपने शब्दों में पिरो कर पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। ये जीवंत पात्र कहीं भावुकता से सराबोर कर देते हैं, तो लेखक ने यथा संभ्श्राव इन दीवानों के अनुभवों का रस निचोड़ कर प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
ISBN10-8128817582