जातक कथाएं पालि साहित्य के अन्तर्गत आती है, तथापि उनकी कथाओं के आधार लक्षणों के आधार पर इन्हें लोक कथा कहना ही उपयुक्त होगा। इन कथाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये समाज के उच्च-सम्भ्रांत वर्ग को आधार बनाकर नहीं लिखी गयी हैं, अपितु इनका आधार वृक्ष, हाथी, बटेर, कौआ, गीदड़ गरीब किसान, गांव का भोला युवक, निरीह ब्राह्मण, बढ़ई आदि को बनाया गया है इसमें अत्यन्त सरल शैली में कथा वस्तु को प्रस्तुत कर दिया गया है। इनमें उपदेशात्मकता का प्राय अभाव ही है, फिर भी इन कथाओं के चरित्र जहां एक ओर सामान्य पाठकों को हंसाते-गुदगुदाते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रबुद्ध पाठकों को अनायास ही चिन्तन के लिए भी बाध्य करते हैं। जातक कथाओं में रोचकता की कहीं भी कमी नहीं है। अत ये कथाएं बच्चों के लिए रोचक मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक तो है ही, साथ ही प्रत्येक अवस्था के पाठकों के लिए भी उपयोगी है।
जातक कथाएं
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जातक कथाएं पालि साहित्य के अन्तर्गत आती है, तथापि उनकी कथाओं के आधार लक्षणों के आधार पर इन्हें लोक कथा कहना ही उपयुक्त होगा। इन कथाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये समाज के उच्च-सम्भ्रांत वर्ग को आधार बनाकर नहीं लिखी गयी हैं, अपितु इनका आधार वृक्ष, हाथी, बटेर, कौआ, गीदड़ गरीब किसान, गांव का भोला युवक, निरीह ब्राह्मण, बढ़ई आदि को बनाया गया है इसमें अत्यन्त सरल शैली में कथा वस्तु को प्रस्तुत कर दिया गया है। इनमें उपदेशात्मकता का प्राय अभाव ही है, फिर भी इन कथाओं के चरित्र जहां एक ओर सामान्य पाठकों को हंसाते-गुदगुदाते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रबुद्ध पाठकों को अनायास ही चिन्तन के लिए भी बाध्य करते हैं। जातक कथाओं में रोचकता की कहीं भी कमी नहीं है। अत ये कथाएं बच्चों के लिए रोचक मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक तो है ही, साथ ही प्रत्येक अवस्था के पाठकों के लिए भी उपयोगी है।
ISBN10-8128809261
Additional information
Author | Dr. Bhawan Singh Rana |
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ISBN | 8128809261 |
Pages | 32 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Fusion Books |
ISBN 10 | 8128809261 |