पेट के रोग कारण और उपचार

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अव्‍यवस्थित दिनचर्या, खान-पान में लापरवाही, वसा का अधिक इस्‍तेमाल आदि कई कारणों से पेट के रोगी बहुतायत में मिलते हैं। वास्‍तव में जिसे हम पेट कहते हैं वह आमाशय होता है। पेट के अन्‍य अंगों में ड्यूओडिनम, छोटी आंत, बड़ी आत, मलाशय, गुदा, यकृत (लिवर), पित्‍ताशय (गाल ब्‍लैडर) व अग्‍नाशय (पेनिक्रियाज) आदि प्रमुख अंग होते हैं।
इस पुस्‍तक में पेट के साथ-साथ उन अंगों का विस्‍तृत वर्णन है जो पेट के रोग में कारक बनते हैं। डॉ. राजीव शर्मा ने रोग के कारण के साथ जो उपचार विधि बताई है, वह पूर्णत आयुर्वेद, होम्‍योपैथिक एवं प्राकृतिक चिकित्‍सा पर आधारित है। पुस्‍तक सहज, सरल एवं आम लोगों की भाषा में लिखी गई है। ISBN10-8171827179

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