बुद्धत्‍व खड़ा बाजार में

195.00

195.00

Out of stock

एक प्रवचन में ओशो ने कहा था कि मैं अपने पीछे पूरी केमिस्‍ट की दूकान छोड़ जाऊंगा, जिसमें प्रत्‍येक स्‍वभाव के व्‍यक्ति के लिए औषधि तो होगी,पर उसे खोलना उसके लिए कठिन होगा। यह इसलिए है क्‍योंकि ओशो लाखों हजारों साधकों को एक साथ सम्‍बोधित कर रहे थे।
यह पुस्‍तक इसी प्रयास की कड़ी है कि ओशो की प्रमुख औषधियों को छांटकर उनको लेने की विधि सहित, सभी प्रमुख रोगों को लक्षणों सहित प्रस्‍तुत किया जाए जिससे प्रत्‍येक साधक अपने रोग का स्‍वयं निदान कर उपचार कर सके और उसका रूपांतरण हो सके।
इस पुस्‍तक को पढ़कर और जहां आवश्‍यक हो, इससे ओशो की प्रवचनमाला का संदर्भ लेकर और उसे हृदयंगम कर साधक अपने घरों में ध्‍यानकक्ष बनाकर अकेले अपनी अंतर्यात्रा शुरू कर सकते हैं। ISBN10-8128802089

SKU 9788128802089 Category Tags ,