Bhrigu Samhita
भ्रगु साहित्य
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पं. राधाकृष्ण श्रीमाली ज्योविष, तंत्र मंत्र ओर वास्तु के स्थापित हस्ताक्षर हैं। अनेक दशकों में आपने देश को सैकड़ों पुस्तकें दी हैं। आपकी रचनाओं और खोजों के चलते ही आपको दर्जनों बार सम्मानित किया जा चुका है। वे सिर्फ कर्मकांडी नहीं हैं, बल्कि अनुभववाद पर भी भरोसा करते हैं। भृगु संहिता पं. श्रीमाली की ऐसी ही पुस्तक है, जिसमें खोज और अनुभवों का सम्मिश्रण है। इसलिए यह पुस्तक संग्रहणीय तो है ही आध्यात्मिक यात्रा के लिए जरूरी भी है। ज्योतिष की अनेक शाखा – प्रशाखाओं में गणित और फलित का महत्वपूर्ण स्थान है। फलित के माध्यम से जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों के फलाफल का निरूपण किया जाता है। जन्म कालिक ग्रहों की जो स्थिति नभ मंडल में होती है, उसी के अनुसार उसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। जीवन में घटित व आगे घटित होने वाली घटनाओं का ज्ञान फलित ज्योतिष द्वारा होता है। महर्षि भृगु ने इसी फलित ज्योतिष के आधार पर भृगु संहिता नामक महाग्रंथ की रचना की। सर्वप्रथम इस महागं्रथ को अपने पुत्र व शिष्य शुक्र को पढ़ाया, उनसे समस्त ब्राह्मण समाज और विश्व भर में यह ग्रंथ प्रचारित हुआ।
Additional information
Author | Radha Krishna Srimali |
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ISBN | 9788128806766 |
Pages | 288 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128806769 |