सुनील जोगी की नजर तीखी और पैठ गहरी है। वह संजीदा, से संजीदा मसलों को सजह हास्य-व्यंग्य की फुलझड़ियों में तब्दील करके पहले श्रोताओं को गुदगुदाता और हंसाता है फिर उनका बगलगीर होकर धीरे-धीरे उन्हें यह सोचने को मजबूर कर देता है कि जिस समाज में वह रह रहे उसमें आ रही तेज गिरावट को अगर उनहोंने नहीं समझा और संभाला तो वे खुद उसकी चपेट में आ जाएंगे।
युवा सनील केवल हास्य कवि ही नहीं है वह एक सजह, सक्रिय, परिश्रमी और महत्वाकांक्षी लेखक है उन्होंने अब तक गंभीर साहित्य की विभिन्न विधाओं में लगभग 40 स्तरीय पुस्तकों की रचनाकर के हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।
डॉ. सुनील जोगी