‘मेरी शवयात्राएं’ और ‘शाकाहारी मक्खियां’ नामक पुस्तकों का रचयिता मनजीत, मन के मामले में भक्तिकालीन-रीतिकालीन सोच से अलग, बिना संकोच, यर्थाथवादी रीति से आधुनिक व्यंग्य-भक्ति को मानता है। मनो-विग्रह को कोई संदेश नहीं देता देश के मनोविग्रह पर ध्यान देता है। अपने मन की खास फिक्र नहीं करता, दूसरों फिक्र पर कान देता है। दूसरों का मन चंगा रहे इस नाते अपनी कठौती में गंगा लाने के स्थान दूसरों तक गंगा पहुंचाने में कटौती नहीं करता। अपने भागीरथी श्रम के रहते किसी भी महारथी से नहीं डरता। इसके हास्य-बम में व्यंग्य का पलीता है। अपने हास्य-व्यंग्य से इसने असंख्य लोगों का मन जीता है। इसकी कविताओं ने बड़े प्यार से दिलों का मन जीता है। इसकी कविताओं ने बड़े प्यार से दिलों को घायल किए बिना कायल किया है। प्रिय पाठकों मैंने इसका ‘रांग नम्बर’ आपको सही डायल किया है। ISBN10-8128802356