हिन्‍दू विवाह एवम् यज्ञोपवीत संस्‍कार

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मनुष्‍य स्‍वभावत” एक जिज्ञासु प्राणी है। सनातन हिन्‍दू धर्म में बहुत सारी मान्‍यताए आदिकाल से प्रचलित हैं। आज के अति बु‍द्ध‍िवादी वैज्ञानिक युग के लोग बाबा वाक्‍य प्रमाणम्र में विश्‍वास नहीं रखते। धर्महीन शिक्षा का प्रचार सर्व बढ़ गया है। नई पीढी प्राचीन संस्‍कारों एवं पुरातन संस्‍कृति के प्राचीन विचारों को दकियानूसी समझने लगी है।ऐसे में हमारे प्राचीन संस्‍कारों एवं पुरातन संस्‍कृति में छिपे वैज्ञानिक रहस्‍यों को जनमानस के मध्‍य सही एवं सच्‍चे तर्क के साथ उद्घाटित करना बहुत जरूरी है। प्रस्‍तुत पुस्‍तक इस श्रंखला की एक महत्‍वपूर्ण कड़ी है, जिसमें अन्‍तर्राष्‍ट्रीय ख्‍यातिप्राप्‍त विद्वान लेखक डॉ भोजराज द्विवेदी की यशस्‍वी लेखनी ने प्रश्‍नात्‍मक शैली में हिन्‍दू दर्शन एवं सिंधांत के अछूते पहलुओं को अत्‍यन्‍त सरल एवं स्‍पष्‍ट शैली में उद्रघाटितकिया है। हमें विश्‍वास है कि पूर्व में प्रकाशित पुस्‍तकों की तरह इस पुस्‍तक को भी प्रबुध्‍ पाठकों का अपार स्‍नेह मिलेगा। ISBN10-8171823297

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