काम ऊर्जा को समझो

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जैसे आग में घी डालने से आग और भड़क उठती है, वैसे ही शारीरिक भोग बेहोशी में भोगने से उनके प्रति इच्‍छा खत्‍म नहीं होती, बल्कि और प्रबल होती जाती है। समय के साथ शरीर दुर्बल होता जाता है, मन की वासनाओं को तृप्‍त करने के लिए साथ नहीं दे पाता। शरीर बूढ़ा होता है, लेकिन मन युवा ही रह जाता है। तब यह दुख बहुत भारी हो जाताहै। जिन्‍होंने भोगा उन्‍होंने ही सही में त्‍यागा। लेकिन जिसने भोग का सिर्फ चिंतन किया, उसका त्‍याग कभी नहीं हो सकता। वह केवल सोचता ही रहेगा त्‍याग करने के बारे में। जिसने होशपूर्वक भोगा और यह जानते हुए भोगा कि ‘एतन्‍मांसवसादिविकारम्’, वही फिर होशपूर्वक उसका त्‍याग भी कर सकता है।
ISBN10-8128815121

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