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पकिस्तानी शायरी ही नहीं जब समग्र उर्दू शायरी की बात होती है तो अहमद प़फराज़ का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। हिन्द-ओ-पाक के उर्दू शायरों में जो ख्याति अहमद प़फराज़ को मिली है, वह पि़फराक़ के बाद पूरे एशिया महाद्वीप में शायद ही किसी को मिली हो। अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए पफूल किताबों में मिलें जैसा मशहुर और बेमिसाल शे’ऱ कहने वाले अहमद प़फराज़ के दर्जनों शे’र हिन्दी-उर्दू पाठकों की ज़बान पर चढ़े हुए हैं। मुहावरे और लोकोक्तियाँ बन चुके उनके शे’र जिन लोगों की स्मृति में बसे हुए हैं, वे उन्हें न हिन्दुस्तान का जानते हैं, न पाकिस्तान का। न हिन्दी का जानते हैं, न उर्दू का। वे सिपर्फ इतना जानते हैं कि अहमद प़फराज़ एक ऐसा शायर है, जो उनकी अपनी ज़बान में शे’र कहता है। अहमद प़फराज़ की बेहतरीन ग़ज़लों और नज़्मों का देवनागरी में प्रकाशित बेमिसाल संकलन।
Author | Ahmed Faraz |
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ISBN | 8128811738 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128811738 |
पकिस्तानी शायरी ही नहीं जब समग्र उर्दू शायरी की बात होती है तो अहमद प़फराज़ का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। हिन्द-ओ-पाक के उर्दू शायरों में जो ख्याति अहमद प़फराज़ को मिली है, वह पि़फराक़ के बाद पूरे एशिया महाद्वीप में शायद ही किसी को मिली हो। अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए पफूल किताबों में मिलें जैसा मशहुर और बेमिसाल शे’ऱ कहने वाले अहमद प़फराज़ के दर्जनों शे’र हिन्दी-उर्दू पाठकों की ज़बान पर चढ़े हुए हैं। मुहावरे और लोकोक्तियाँ बन चुके उनके शे’र जिन लोगों की स्मृति में बसे हुए हैं, वे उन्हें न हिन्दुस्तान का जानते हैं, न पाकिस्तान का। न हिन्दी का जानते हैं, न उर्दू का। वे सिपर्फ इतना जानते हैं कि अहमद प़फराज़ एक ऐसा शायर है, जो उनकी अपनी ज़बान में शे’र कहता है। अहमद प़फराज़ की बेहतरीन ग़ज़लों और नज़्मों का देवनागरी में प्रकाशित बेमिसाल संकलन।
ISBN10-8128811738
Diamond Books, Books, Language & Literature
Language & Literature, Language Teaching Method