Aisi Bhakti Kare Raidasa (ऐसी भक्ति करै रैदासा)

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ओशो में मनुष्‍य की जो चरम संभावना है, वह साकार हो गयी है। मनुष्‍य में जो बड़े से बड़ा चैतन्‍य का विस्‍फोट, रूपांतरण या क्रांति संभव है, वह उनमें घटित हुई है। इसलिए दुख और संताप, अंधकार और मृत्‍यु की घाटी में पड़ी मनुष्‍य-जाति को उनसे बहुत-बहुत आशा बंधती है। सौभाग्‍य से वे ऐसी संकट-भरी और निर्णायक घड़ी में हमारे बीच है।, जब मनुष्‍यता के सामने दो ही विकल्‍प हैं। आत्‍मघात या नयी चेतना में छलांग।
इस पुस्‍तक में ओशों के रैदास-वाणी पर दिए गए प्रवचनों का संकलन है। इसमें रैदास की आस्तिकता को वाणी दी गई है। ISBN10-935599155X

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