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एक ब्रिटिश प्रोफेसर के बेटे को पता चलता है कि उसकी जड़ें भारत मे हैं। वो उन्हें खोजता हुआ भारत आता है। और फिर शुरू होती है हालात के हाथों दूर हुए अपनों और अपने पुरखों की बीती जिन्दगी की तमाम खट्टी, मीठी, कड़वी, हैरतअंगेज और चौंकाने वाली घटनाओं की श्रृंखला। यहाँ के लोगों से अपना करीबी लेकिन विदेशी होने का अजीब सा अहसास। कहीं अपनापन तो कहीं खतरा। हिन्दुस्तान की तमाम गैरमुनासिब दिक्कतों के लिए सिर्फ अंग्रेजों की ओर उंगली उठाने के बजाय अपने इतिहास को एक विश्लेषणात्मक नजरिया देने की कोशिश।

About the Author

वर्तमान में सिडनी निवासी संजय अग्निहोत्री, मूलतः उत्तर प्रदेश के रायबरेली शहर के निवासी हैं। पब्लिक रेलेशन्स सोसाइटी भोपाल द्वारा साहित्य सम्मान से सम्मानित श्री संजय अग्निहोत्री एक क्लासिक सस्पेंस क्राइम लेखक हैं जोकि छोटी सामाजिक समस्याओं पर कहानियाँ, व्यंग्य और कविताएं तथा दुरूह व पुरानी गम्भीर समस्याओं पर उपन्यास लिखते हैं। हिन्दी में दो उपन्यास, एक कथा संग्रह, कविताओं कहानियों के दो साझा संकलन तथा दो व्यंग्य के साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका “गर्भनाल”, “दैनिक भास्कर” व अन्य स्थानीय पत्रिकाओं में इनकी कवितायें, कहानियाँ तथा व्यंग्य प्रकाशित होते रहते हैं।.