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संत पलटूराम के पदों पर ओशों द्वारा ‘अजहूं चेत गंवार’ प्रवचन माला के अंतर्गत दिए गए कुल 21 प्रवचनों में से ग्यारह (प्रवचन 11 से 21) प्रवचनों का संकलन है यह पुस्तक। अगर ओशो उनके पदों पर प्रवचन न देते तो शायद वे अज्ञात के कुहरे में ढ़के रह जाते। लेकिन अब वे ऐसे ही हमारे समक्ष जगमगाने लगे हैं, जैसे मीरा, कबीर, लाओत्सु, बुद्ध, नानक, और अनेक झेन सद्गुरु जिन पर ओशो बोले हैं। उनके पदों के संबंध में ओशो कहते हैं अपनी सीधी-साफ बातों में धर्म का सारा सार पलटू ने कहा है। कुछ भी बचाया नहीं है। मुट्ठी बंधी नहीं रखी-मुट्ठी पूरी खोली है। खूब लुटाया। धन्यभागी हैं वे जो अपनी झोली भर लें। अभागे हैं वे जो वंचित रह जाएं। सद्गुरु देते हैं। लेने वाले ले लेते हैं। नहीं लेने वाले चूक जाते हैं। और सद्गुरु से चूक जाना इस जगत में सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। चूंक जाने वाले ऐसे लोगों को पलटू गंवार की संज्ञा दे देते हैं, गंवार का संबोधन देते हैं।
ISBN10-9351658015
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