किताब के बारे में
भगवान बुद्ध और उनका धम्म -: भगवान बुद्ध, सिद्धार्थ गौतम, ने लगभग 2500 साल पहले धम्म (पालि में धर्म) का मार्ग दिखाया। उन्होंने जीवन के दुखों और उनके कारणों को समझा और उनसे मुक्ति पाने का उपाय बताया। उनके धम्म का मूल चार आर्य सत्य हैं: दुःख है, दुःख का कारण है, दुःख का निरोध संभव है, और दुःख निरोध का मार्ग (अष्टांगिक मार्ग) है।बुद्ध का धम्म किसी ईश्वर की अवधारणा पर आधारित नहीं, बल्कि नैतिकता, ध्यान और प्रज्ञा पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य व्यक्ति को अज्ञान और तृष्णा से मुक्त कर निर्वाण प्राप्त करना है। यह मार्ग मध्य मार्ग कहलाता है, जो अत्यधिक भोग और अत्यधिक तपस्या दोनों से दूर रहने की शिक्षा देता है। बुद्ध ने समानता, अहिंसा और करुणा पर जोर दिया, जो आज भी प्रासंगिक हैं। उनके धम्म ने लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
लेखक के बारे में
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता माना जाता है। वे एक महान विद्वान, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। दलित समुदाय से आने के बावजूद उन्होंने अथक प्रयासों से उच्च शिक्षा प्राप्त की और समाज में दलितों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
प्रारंभिक जीवन:
*14 अप्रैल, 1891. आंबेडकर नगर, जिसका भूतपूर्व नाम महूँ था, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में स्थित एक नगर है। यहाँ डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था और यह एक ऐतिहासिक छावनी भी है।
*शिक्षा के प्रति उनके जुनून ने उन्हें कई चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा और करियर:
*उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए विदेश भी गए और अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
*भारत लौटने के बाद उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत ।
*भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।
भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान:
*भारत के स्वतंत्रता के बाद डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
*उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया और इसमें सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रावधान शामिल किए।
*भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे लंबा और विस्तृत संविधान माना जाता ।
सामाजिक सुधार:
*डॉ. आंबेडकर ने दलितों के उत्थान के लिए कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत की।
*उन्होंने छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई और दलितों को शिक्षा और रोजगार के वसर उपलब्ध कराने के लिए काम किया।
*उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और दलितों को बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित किया।
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यह सिर्फ एक संक्षिप्त परिचय है। आंबेडकर के जीवन और कार्यों के बारे में और अधिक जानने के लिए आप उनकी जीवनी पढ़ सकते हैं या उनके बारे में खे गए लेख पढ़ सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
*डॉ. आंबेडकर ने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘द अनटचेबल्स’, ‘राइडू’ और ‘बुद्ध और उसका धर्म’ शामिल हैं।
*उन्होंने कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का संपादन किया।
*वे एक कुशल वक्ता थे और उन्होंने कई सार्वजनिक भाषण दिए
*आंबेडकर का जन्मदिन 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है
*आंबेडकर ने कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया, नमें कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स शामिल हैं।
*डॉ. आंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
*उन्हें भारत का संविधान निर्माता माना जाता है।
*उनके विचारों ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित किया है।
*आज भी दलित समुदाय के लोग उन्हें अपना मसीहा मानते हैं।
पुस्तक भगवान बुद्ध और उनका धम्म का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस पुस्तक का उद्देश्य भगवान बुद्ध के जीवन, धम्म (धर्म), और उनके विचारों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना है।
भगवान बुद्ध ने किस प्रकार के मार्ग की शिक्षा दी?
उन्होंने मध्य मार्ग की शिक्षा दी, जो न तो अत्यधिक भोग है और न ही कठोर तपस्या।
अष्टांगिक मार्ग में कौन-कौन से अंग शामिल हैं?
सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति, और सम्यक समाधि।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह पुस्तक क्यों लिखी?
उन्होंने दलित समाज को सामाजिक न्याय, समानता और आत्म-सम्मान का मार्ग दिखाने के लिए यह पुस्तक लिखी।
डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म क्यों अपनाया?
छुआछूत और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध खड़े होकर उन्होंने बौद्ध धर्म को न्याय, करुणा और समानता का मार्ग मानते हुए अपनाया।