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संत शिरोमणि अनन्त श्री परमहंस राम मंगल दास जी (12.2.1893 – 31.12.1984) ने 82 वर्ष की अवस्था में (1975 में) देवी भगवती की आज्ञा से विश्व की यह परम अद्भुत पुस्तक लिखी। श्री गुरु नानक देव जी, श्री ईसा मसीह जी तथा श्री मोहम्मद साहब जी ने परमहंस जी के सामने प्रगट होकर जो बातें करीं तथा आध्यात्मिक उपदेश दिये, वो इस पुस्तक में लिखे हैं। परमहंस जी ने इसमें आज के समय के संतों व अनेक हिन्दू मुसलमान स्त्री-पुरुष भक्तों की कथायें लिखी हैं, जिनको शक्तियों सहित भगवान, देवी-देवता व पैगम्बर दर्शन देते, कृपा करते, रक्षा करते, बातें करते, साथ में खाते पीते व मार्ग दर्शन करते थे। परमहंस जी ने उन भक्तों के भाव, उनकी नीयत, उनके सच्चाई व ईमानदारी के व्यवहार तथा आचार-विचार के बारे में लिखा है, जिनकी वजह से भगवान उन भक्तों के साथ हमेशा रहते थे। परमहंस जी ने इस पुस्तक में सब भगवान, देवी-देवता, पैगम्बरों के दिव्य स्वरूप का वर्णन किया है, जिन रूपों में वे इन आज के समय के भक्तों को दर्शन देते थे। परमहंस जी ने लिखा है कि ऐसे भक्त जिन पर भगवान की ऐसी दिव्य कृपायें हुईं है, वे पहले हुये हैं, आज भी हैं, और आगे भी होते रहेंगे।
परमहंस राम मंगल दास जी ने लिखा है कि कैसे भक्त अन्त समय में विमान पर बैठकर दिव्य लोक बैकुंठ गये, और कैसे कुछ भक्तों ने बैकुंठ से अपने दिव्य रूप में आकर परमहंस जी को वहाँ का हाल बताया। परमहंस जी ने महात्मा गाँधी जी की दिव्य यात्रा का वर्णन किया है कि कैसे एक बहुत बड़े विमान में रामजानकी, राधेश्याम, विष्णुलक्ष्मी, गिरिजाशंकर एक साथ आये और गाँधी जी का दिव्य शरीर निकाल कर अंत में अपने परमधाम साकेत ले गये।
जो यह जानना चाहते हैं कि भगवान, देवी-देवता, पैगम्बर कैसे दिखते हैं, क्या सच में उनके दर्शन हो सकते हैं, क्या हम उनसे बातें कर सकते हैं, क्या वे हमारे साथ रह सकते हैं और कैसे ये सब हमारे रोज के जीवन में संभव हो सकता है, ये पुस्तक उनके लिये है।
परमहंस राम मंगल दास जी ने लिखा है कि इस पुस्तक में लिखे भक्तों के चरित्र को “जो पढ़ेगा और तदनुसार अपनी दिनचर्या बनायेगा उसका जीवन सार्थक होगा।”
ISBN10-8128817418
Diamond Books, Diet & nutrition