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Bhakti Sutra (भक्ति सूत्र)

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A Book Is Forever
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पुस्तक के बारे में

भक्ति यानी प्रेम- ऊर्ध्‍वमुखी प्रेम। भक्ति यानी दो व्‍यक्तियों के बीच का प्रेम नहीं, व्‍यक्ति और समष्टि के बीच का प्रेम। भक्ति यानी सर्व के साथ प्रेम में गिर जाना। भक्ति यानी सर्व को आलिंगन करने की चेष्‍टा। और, भक्ति यानी सर्व को आमंत्रण कि मुझे आलिंगन कर ले।
भक्ति कोई शास्‍त्र नहीं है- यात्रा है। भक्ति कोई सिद्धांत नहीं है-जीवन-रस है। भक्ति को समझ्‍ कर कोई समझ पाया नही। भक्ति में उूब कर ही कोई भक्ति के राज को समय पाता है।
प्रस्‍तुत पुस्‍तक ‘भक्ति सूत्र’ में ओशो द्वारा नारद-वाणी पर प्रश्‍नोत्‍तर सहित दिए गए 20 अमृत प्रवचनो। को संकलित किया गया है।

लेखक के बारे में

ओशो (1931-1990) एक प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक गुरु और विचारक थे, जिन्हें उनके क्रांतिकारी और गहन दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। उनका असली नाम रजनीश चंद्र मोहन जैन था। ओशो ने आध्यात्मिकता, ध्यान, भक्ति, प्रेम, और ध्यान के महत्व पर बहुत गहराई से चर्चा की। उनके विचारों ने पूरी दुनिया में लाखों लोगों को प्रभावित किया, खासकर उनके ध्यान की विधियों और जीवन के प्रति अद्वितीय दृष्टिकोण ने उन्हें एक विश्वस्तरीय आध्यात्मिक गुरु बना दिया।

ओशो का मानना था कि हर व्यक्ति के भीतर जागरूकता और प्रेम की असीम क्षमता होती है, जिसे समझने और जागृत करने के लिए ध्यान और आत्म-ज्ञान की आवश्यकता होती है। उन्होंने पारंपरिक धर्मों और समाज द्वारा बनाई गई मानसिक और भावनात्मक बंधनों पर सवाल उठाए और अपने अनुयायियों को स्वतंत्रता, सत्य, और प्रेम की खोज की ओर प्रेरित किया।

ओशो ने सैकड़ों पुस्तकें लिखी हैं, जो उनके प्रवचनों और विचारों पर आधारित हैं। उनकी शिक्षाओं का दायरा ध्यान, योग, तंत्र, भक्ति, ज़ेन, और कई अन्य आध्यात्मिक विषयों तक फैला हुआ है। “भक्ति सूत्र” जैसी किताबों में, ओशो ने भक्ति और प्रेम को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया, जहाँ भक्ति केवल ईश्वर की पूजा नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच का गहरा प्रेम-संबंध है।

ओशो की शिक्षाएँ समय की सीमाओं से परे हैं और आज भी उनकी पुस्तकें और विचार लोगों को जीवन के गहरे प्रश्नों के उत्तर खोजने में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

भक्ति सूत्र किसके लिए उपयुक्त है?

यह पुस्तक उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जो भक्ति के मार्ग पर चलना चाहते हैं और ईश्वर के प्रति समर्पण और प्रेम का अनुभव करना चाहते हैं।

भक्ति और साधना में क्या अंतर है?

ओशो के अनुसार, साधना में प्रयास होता है, जबकि भक्ति में प्रेम और समर्पण के साथ अहंकार का पूर्ण त्याग होता है। साधना मानसिक होती है, और भक्ति हृदय की गहराई से उत्पन्न होती है।

भक्ति सूत्र का जीवन में क्या महत्व है?

भक्ति सूत्र जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर प्रदान करता है, जहाँ व्यक्ति प्रेम, निष्ठा और समर्पण के माध्यम से अपने अस्तित्व की गहराइयों का अनुभव करता है।

नारद भक्ति सूत्र क्यों महत्वपूर्ण है?

नारद भक्ति सूत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को भक्ति की सरलता और गहराई को समझने और इसे जीवन में अपनाने का मार्गदर्शन देता है।

क्या भक्ति सूत्र का अध्ययन करने से ध्यान और योग में लाभ मिलता है?

भक्ति सूत्र का अध्ययन ध्यान और योग में गहराई लाने में सहायक होता है, क्योंकि भक्ति योग का ही एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।

भक्ति सूत्र में जीवन में शांति और संतोष पाने का मार्ग बताया गया है?

भक्ति सूत्र में भक्ति के माध्यम से जीवन में शांति, संतोष, और आत्मिक सुख पाने के तरीके का वर्णन किया गया है।

Additional information

Weight 758 g
Dimensions 20.32 × 12.7 × 1.27 cm
Author

Osho

ISBN

9790000000000

Pages

48

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128820664

इस सदी की सबसे बड़ी तकलीफ यही है कि उसके सौंदर्य का बोध खो गया है। और हम लाभ उपार्जन की सिद्ध करने के चक्कर में यह भूल गए हैं। और हमें पता नहीं कि जितना हम सिद्ध कर लेते हैं कि वह नहीं है, उतना ही हम अपनी ही ऊंचाइयों और गहराइयों से चिंतित हुए जा रहे हैं… आंखें खोलो। थोड़ा हृदय को अपने से ऊपर जाने की सुविधा दो। काम को प्रेम बनाओ। प्रेम को भक्ति बनने दो… पीड़ा होगी बहुत। विरह होगा बहुत। बहुत आंसू पड़ेंगे मार्ग में। पर घबराना मत। क्योंकि जो मिलने वाला है उसका कोई भी मूल्य नहीं है। हम कुछ भी करें, जिस दिन मिलेगा उस दिन हम जानेंगे, जो हमने किया था वह न कुछ था। तुम्हारे एक-एक आंसू पर हजार-हजार फूल खिलेंगे। और तुम्हारी एक-एक पीड़ा हजार-हजार मंदिरों का द्वार बन जाएगी। घबराना मत। जहां भक्तों के पैर पड़े, वहां काबा बन जाते हैं। — ओशो

ISBN10- 8128820664

ISBN10-8128820664

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