Sale!
Bhaktiyog by Swami Vivekananda in Hindi (भक्तियोग)
Bhaktiyog by Swami Vivekananda in Hindi (भक्तियोग)
Bhaktiyog by Swami Vivekananda in Hindi (भक्तियोग)

Bhaktiyog by Swami Vivekananda in Hindi (भक्तियोग)-In Paperback

Original price was: ₹100.00.Current price is: ₹99.00.

किताब के बारे में

भक्तियोग -: स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित ‘भक्तियोग’ भक्ति के मार्ग को समर्पित एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक भक्ति के मूलभूत सिद्धांतों और उसके विभिन्न अभ्यासों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें भक्ति को ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम और पूर्ण समर्पण के रूप में परिभाषित किया गया है। ‘भक्तियोग’ इस शक्तिशाली भावना को उजागर करता है जो एक साधक को सीधे परमात्मा से जोड़ती है। यह हमें सिखाता है कि भक्ति आध्यात्मिक उन्नति और परम मुक्ति प्राप्त करने का एक सरल और अत्यंत प्रभावी साधन है। यह ग्रन्थ इस बात पर प्रकाश डालता है कि भक्ति के माध्यम से मनुष्य ईश्वर की असीम कृपा को प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन में सच्ची शांति और आनंद का अनुभव कर सकता है। ‘भक्तियोग’ उन सभी लोगों के लिए एक मूल्यवान मार्गदर्शक है जो भक्ति के मार्ग पर चलना चाहते हैं। यह पुस्तक हमें ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण विकसित करने और एक सार्थक आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है

लेखक के बारे में

स्वामी विवेकानंद, जिनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, इनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय में अटॉर्नी (वकील) थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र कुशाग्र बुद्धि के थे और उनकी धर्म तथा आध्यात्म में गहरी रुचि थी।शुरुआत में वे ब्रह्म समाज से जुड़े, लेकिन उन्हें वहां संतोष नहीं मिला। अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए वे कई साधु-संतों के पास गए और अंततः उन्हें रामकृष्ण परमहंस में अपना गुरु मिला। रामकृष्ण परमहंस के रहस्यमय व्यक्तित्व और शिक्षाओं ने नरेंद्र के जीवन को पूरी तरह बदल दिया।25 वर्ष की आयु में नरेंद्रनाथ ने संन्यास ले लिया और ‘विवेकानंद’ के नाम से जाने जाने लगे। उन्होंने पूरे भारतवर्ष की पैदल यात्रा की और देश की गरीबी और दुर्दशा को करीब से देखा। उनका मानना था कि ‘मेरा ईश्वर दुखी, पीड़ित हर जाति का निर्धन मनुष्य है। 1893 में, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमेरिका) में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। उनके प्रभावशाली भाषण ने पश्चिमी दुनिया को भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता से परिचित कराया। उन्होंने वेदांत और योग को पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने 1897 में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की। यह मिशन शिक्षा, चिकित्सा सहायता, आपदा राहत और जनजातियों के कल्याण जैसे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से संलग्न है। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो’ का नारा दिया। वे भारतीय राष्ट्रवाद के प्रमुख प्रतीक और एक देशभक्त संत के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्मदिन 12 जनवरी को भारत में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 4 जुलाई, 1902 को मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।

भक्तियोग पुस्तक किसने लिखी है और इसका मुख्य विषय क्या है?

यह ग्रंथ स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित है और इसका मुख्य विषय है ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण के मार्ग के रूप में भक्ति।

भक्तियोग क्या है?

भक्तियोग वह आध्यात्मिक मार्ग है जो ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण द्वारा आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।

भक्तियोग और अन्य योगों (जैसे कर्मयोग, ज्ञानयोग) में क्या अंतर है?

भक्तियोग प्रेम पर आधारित होता है, जबकि कर्मयोग कर्म पर और ज्ञानयोग बौद्धिक विवेक पर आधारित होता है।

भक्तियोग में किस प्रकार की साधनाएँ होती हैं?

इसमें नामस्मरण, प्रार्थना, ध्यान, कीर्तन, ईश्वर की सेवा और गुरु भक्ति जैसी साधनाएँ प्रमुख होती हैं।

भक्तियोग पुस्तक हमें किस ओर प्रेरित करती है?

यह हमें ईश्वर के प्रति प्रेम, विश्वास और समर्पण विकसित करने, और आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

Additional information

Weight 0.100 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.5 cm
Author

Swami Vivekanand

Pages

84

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10-: 9363234355

SKU 9789363234352 Category Tags ,