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Jharkhand Ke Amar Krantikari “Birsa Munda Evam Sidhu-Kanhu” (झारखण्ड के अमर क्रांतिकारी “बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू”)

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“बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन अद्वितीय सेनानियों की गाथाएं प्रस्तुत करती है, जिन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपने संघर्षों से इतिहास रचा। बिरसा मुंडा के नेतृत्व में आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने का संघर्ष और सिधु-कान्हू का संताल विद्रोह उस समय के आदिवासी आंदोलनों के महत्वपूर्ण घटनाक्रम थे। यह पुस्तक आदिवासी समाज की समस्याओं और उनके साथ हुए अन्याय को उजागर करती है और हमें उनके साहस और संघर्ष के महत्व को समझने का अवसर देती है।

ISBN: 9386759764

ISBN10-9386759764

A Book Is Forever
Jharkhand Ke Amar Krantikari "Birsa Munda Evam Sidhu-Kanhu" (झारखण्ड के अमर क्रांतिकारी "बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू")
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Jharkhand Ke Amar Krantikari "Birsa Munda Evam Sidhu-Kanhu" (झारखण्ड के अमर क्रांतिकारी "बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू")

पुस्तक के बारे में

आदिवासियों का संघर्ष अट्ठारहवीं शताब्दी से आज तक चला आ रहा है। 1766 के पहाड़िया-विद्रोह से लेकर 1857 के गदर के बाद भी आदिवासी संघर्षरत रहे। सन् 1895 से 1900 तक बिरसा मुंडा का महाविद्रोह ‘ऊलगुलान’ चला। आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल किया जाता रहा और वे इसके खिलाफ आवाज उठाते रहे। 1895 में बिरसा ने अंग्रेजों की लागू की गयी जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई के साथ-साथ जंगल-जमीन की लड़ाई छेड़ी थी। उन्होंने सूदखोर महाजनों के खिलाफ भी जंग का ऐलान किया। ये महाजन, जिन्हें वे दिकू कहते थे, कर्ज के बदले उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते थे। यह मात्र विद्रोह नहीं था, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, स्वायतत्ता और संस्कृति को बचाने के लिए महासंग्राम था।

लेखक के बारे में
 

नाम – डॉ. सुस्मिता पाण्डेय
पता – द्वारिकेश अपार्टमेंट, फ्लैट नं. – 101, 25, पीस रोड, लालपुर, रांची, झारखण्ड
शिक्षा – एम. ए राजनीति शास्त्र, बी एड., पी एच.डी
संपादक – सेवा सुरभि पत्रिका, झारखण्ड (लगातार 19 वर्षों से) राम संदेश पत्रिका की पूर्व संपादक

क्या बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू पुस्तक में सिधु और कान्हू के आंदोलन का विस्तृत वर्णन किया गया है?

हां, पुस्तक में सिधु और कान्हू द्वारा संताल हूल (विद्रोह) के समय किए गए संघर्षों और उनके नेतृत्व का गहराई से वर्णन किया गया है। यह पुस्तक उनके साहस और संघर्ष के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत की गई है।

बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू पुस्तक किसके लिए उपयुक्त है?

यह पुस्तक उन सभी पाठकों के लिए उपयुक्त है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, आदिवासी संघर्ष और भारतीय इतिहास में रुचि रखते हैं। यह पुस्तक छात्रों, इतिहासकारों और उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो भारतीय समाज के आंदोलनों को समझना चाहते हैं।

क्या बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू पुस्तक में आदिवासी समाज के संघर्ष और अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है?

हां, इस पुस्तक में आदिवासी समाज के संघर्ष और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए बिरसा मुंडा और सिधु-कान्हू द्वारा किए गए संघर्षों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। इन नायकों ने अपने समाज के लिए लड़ाई लड़ी और उनके अधिकारों की रक्षा की।

बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू पुस्तक को पढ़ने से क्या लाभ होता है?

इस पुस्तक को पढ़ने से पाठकों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी नायकों के योगदान और उनके संघर्षों के बारे मेंजानकारी मिलती है। यह पुस्तक आदिवासी समाज के इतिहास और उनकी संस्कृति को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

क्या बिरसा मुंडा एवं सिधु-कान्हू पुस्तक में आदिवासी पहचान और संस्कृति के बारे में कोई विशेष विचार प्रस्तुत किए गए हैं?

हां, इस पुस्तक में आदिवासी पहचान और संस्कृति के बारे में कई महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए गए हैं। यह पुस्तक आदिवासी समाज की समस्याओं, उनके संघर्षों और उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाने का एक प्रयास है।

Additional information

Weight 296 g
Dimensions 13.97 × 1.17 × 21.59 cm
Author

Dr. Susmita Pandey

ISBN

9789386759764

Pages

24

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Toons

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https://www.amazon.in/dp/9386759764?ref=myi_title_dp

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ISBN 10

9386759764