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Chhattisgarh Ke Garh (छत्तीसगढ़ के गढ़)-In Paperback

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ISBN10 -: 9371227478

किताब के बारे में

छत्तीसगढ़ के गढ़ – : यह पुस्तक छत्तीसगढ़ राज्य के नाम की उत्पत्ति और इसके ऐतिहासिक संदर्भों पर आधारित एक शोधपरक कृति है। लेखक, सनत कुमार सिंघई और क्षितिज सिंघई, ने ‘छत्तीसगढ़’ शब्द के उद्भव से जुड़ी विभिन्न किंवदंतियों और तथ्यात्मक धारणाओं का गहन विश्लेषण किया है।पुस्तक की भूमिका में बताया गया है कि 1 नवंबर, 2000 को स्थापित छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास बहुत पुराना है, जिसे पहले महाकोसल, महाकांतार, दक्षिण कोसल और दण्डकारण्य जैसे नामों से जाना जाता था। ‘छत्तीसगढ़’ नाम को लेकर कई मत प्रचलित हैं। एक धारणा के अनुसार, यह शब्द ‘चेदीगढ़’ से निकला है, जिसका संबंध कलचुरी राजवंश से था। एक अन्य तथ्यात्मक धारणा यह है कि 1487 ई. में खैरागढ़ के राजा के चारण कवि दलपतराम राव ने अपनी रचना में इस शब्द का पहली बार प्रयोग किया था। बाद में, 1689 ई. में कवि गोपाल मिश्र और फिर बाबू रेवाराम ने भी इसका उल्लेख किया ।पुस्तक में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि दक्षिण कोसल में 36 दुर्ग (गढ़) होने के कारण राजा ब्रह्मदेव ने इसे छत्तीसगढ़ नाम दिया था। ये 36 गढ़ दो राज्यों – रतनपुर और रायपुर में बंटे थे, प्रत्येक में 18-18 गढ़ थे। मराठाओं के अधीन आने के बाद इन दोनों राज्यों के लिए संयुक्त रूप से ‘छत्तीसगढ़’ शब्द का उपयोग होने लगा था। यह पुस्तक ऐतिहासिक दस्तावेजों और संदर्भों के आधार पर छत्तीसगढ़ के गढ़ों पर शोध करने वाले पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है

पुस्तक छत्तीसगढ़ के गढ़ का मुख्य विषय क्या है?

यह पुस्तक छत्तीसगढ़ राज्य के नाम की उत्पत्ति और उसके ऐतिहासिक संदर्भों पर केंद्रित है।

छत्तीसगढ़ के गढ़ इस पुस्तक के लेखक कौन हैं?

इस पुस्तक के लेखक सनत कुमार सिंघई और क्षितिज सिंघई हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य आधिकारिक रूप से कब स्थापित हुआ?

छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर, 2000 को स्थापित हुआ।

छत्तीसगढ़ राज्य को पहले किन-किन नामों से जाना जाता था?

इसे पहले महाकोसल, महाकांतार, दक्षिण कोसल और दण्डकारण्य के नामों से जाना जाता था।

छत्तीसगढ़ शब्द की उत्पत्ति को लेकर कौन-कौन सी धारणाएँ हैं?

एक धारणा इसे ‘चेदीगढ़’ से जोड़ती है, जबकि दूसरी धारणा इसे 36 गढ़ों से जोड़ती है।

Additional information

Weight 0.175 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.4 cm
Author

Sanat Kumar Singhai & Kshitij Singhai

Pages

192

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books