Deenu Ki Pukaar (Hasya Vayangya) : दीनू की पुकार (हास्य व्यंग्य)

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बागी चाचा बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। अपने कॉलेज में उन्हें बेस्ट डिबेटर चुना गया। चित्रकला में 1970 में कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय से पेंटिंग का प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। अब पूरी तरह कविता की हास्य-व्यंग्य धारा में समर्पित हैं। आजकल जहां अनेक कवि चुटकलों और लफ्फाजी से अपने को कवि सम्मेलन में सफल पाते हैं। वहीं बागी चाचा आरम्भ से ही शब्द–चयन, आलंकारिक प्रयोग सहज सरल शालीन भाषा में कविता के पक्षधर हैं। उनका हास-परिहास स्वतः स्फूर्त है । बागी चाचा की रचनाएँ समाज में व्याप्त बुराईयों विद्रूपताओं से टकराव करते सीधे चोट करती हैं। दीनू की पुकार एक श्रेष्ठतम व्यंग्य है जिसमें डॉक्टर कहाँ तक व्यावसायिकता में गिर सकता है उसका एक उत्तम उदाहरण है।

About the Author

मूल नाम : जय किशन कौशिक
जन्म : 7 अक्टूबर, 1948
शिक्षा : बी.ए., बी.एड.
सम्मान : विद्यार्थी जीवन में चित्रकला में विशेष रूचि । कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय द्वारा 1970 में चित्रकला में प्रथम पुरस्कार मिला। कॉलेज का बेस्ट डिबेटर घोषित। आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के अतिरिक्त देशभर के अनेक कवि सम्मेलनों में कविता पाठ । हास्य-व्यंग्य कवि के रूप में प्रतिष्ठित |
प्रकाशित कृति : पेड़ और पुत्र, काव्य सप्तक, मुर्गासन, गजल संग्रह, ‘ओ मेरी गुलदावरी’, दीनू की पुकार ।
सम्प्रति : भारत सरकार के शहरी विकास मन्त्रालय में वरिष्ठ लेखकार के पद से सेवा निवृत ।
इमेल : [email protected]

ISBN10-9359203750

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