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नटवर सिंह ने भारतीय विदेश सेवा में शामिल होकर 31 वर्षों तक एक नौकरशाह के रूप में सेवा की। उन्होंने 1984 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री बने, जिसमें उनके पास इस्पात, कृषि, और कोयला और खनिज मंत्रालयों का प्रभार था। इस बहुप्रतीक्षित आत्मकथा में, पूर्व कैबिनेट मंत्री विभिन्न मंत्रालयों में अपने अनुभवों और सेवाओं के बारे में न्यायपूर्ण ढंग से बात करते हैं। सिंह ने भारतीय राजनीति में बीस वर्षों से अधिक समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और स्वतंत्र भारत के कुछ सबसे ऐतिहासिक घटनाओं का हिस्सा रहे हैं, जिसमें भारत-चीन वार्ताएँ और बांग्लादेश का गठन शामिल है।
2002 में जब कांग्रेस पार्टी फिर से सत्ता में आई, तो नटवर सिंह को विदेश मंत्रालय का मंत्री नियुक्त किया गया। लेकिन उनका घटनापूर्ण करियर 2005 में वोल्कर रिपोर्ट के साथ समाप्त हो गया। इराकी खाद्य के लिए तेल घोटाले में उनका नाम आने से उन्हें कैबिनेट से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा और अंततः कांग्रेस पार्टी से भी इस्तीफा देना पड़ा। सिंह इन सभी घटनाओं और कांग्रेस पार्टी के उतार-चढ़ाव के बारे में “वन लाइफ इज़ नॉट इनफ” में बात करते हैं, जो एक अंदरूनी व्यक्ति का विवरण है। पार्टी के साथ उनकी सहभागिता ने उन्हें कुछ ऐतिहासिक घटनाओं को करीब से देखने का मौका दिया, और उन्होंने 1980 के दशक में राष्ट्रपति जिया-उल-हक के शासन के तहत पाकिस्तान, भारत-चीन संबंध, और भारत-यूएसएसआर संबंधों सहित अन्य संवेदनशील घटनाओं के बारे में बात की।
“एक ही जिंदगी काफी नहीं” में क्या सीखने को मिलता है?
“एक ही जिंदगी काफी नहीं” से पाठकों को यह सीखने को मिलता है कि जीवन में विविधता और अनुभवों का होना कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें अपने लक्ष्यों को पहचानने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।
क्या “एक ही जिंदगी काफी नहीं” आत्मकथात्मक है?
हाँ, “एक ही जिंदगी काफी नहीं” एक आत्मकथात्मक दृष्टिकोण से लिखी गई है, जिसमें लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों और चुनौतियों के माध्यम से जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर किया है।
इस पुस्तक का प्रमुख पात्र कौन है?
“एक ही जिंदगी काफी नहीं” में मुख्य पात्र लेखक स्वयं हैं, जो अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न व्यक्तित्वों और अनुभवों के माध्यम से पाठकों को प्रेरित करते हैं।
“एक ही जिंदगी काफी नहीं” पढ़ने से क्या लाभ होता है?
“एक ही जिंदगी काफी नहीं” पढ़ने से पाठकों को जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्राप्त होता है, जो उन्हें अपने सपनों के पीछे जाने और उन्हें साकार करने के लिए प्रेरित करता है।
लेखक ने “एक ही जिंदगी काफी नहीं” में कौन से अनुभव साझा किए हैं?
लेखक “एक ही जिंदगी काफी नहीं” में अपने जीवन के महत्वपूर्ण अनुभवों, संघर्षों और सफलताओं को साझा करते हैं, जो पाठकों को एक प्रेरणा प्रदान करते हैं।
क्या “एक ही जिंदगी काफी नहीं” में कोई नैतिक शिक्षा है?
हाँ, “एक ही जिंदगी काफी नहीं” में नैतिक शिक्षा यह है कि जीवन को पूरी तरह जीने के लिए हमें अपने भीतर के डर और सीमाओं को पार करना चाहिए।