Ghat Ka Patthar (घाट का पत्‍थर)

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उसका हृदय जोर-जोर से धड़क रहा था। उसके हाथ तेजी से रेशमी वस्त्रों पर चल रहे थे। हाथ और शरीर की रगड़ से एक आग सी उत्पन्न हो रही थी जिससे उसका हाथ जलने सा लगा, परंतु इस जलन में भी उसे एक आनंद का अनुभव हो रहा था। यह एक अत्यंत ही रोचक उपन्यास है जिसे लोकप्रिय उपन्यासकार गुलशन नंदा ने लिखा है। गुलशन नंदा का नाम रोमांटिक और सामाजिक उपन्यासकारों में सर्वाधिक लोकप्रिय है। उन्होंने अपने बीच समाज को जिया तथा उसके ताने बाने को अपने उपन्यासों में उतारा था। उनके सभी उपन्यास आज भी प्रासंगिक हैं। उनके कई उपन्यासों पर फिल्में भी बनी। उनके लोकप्रिय उपन्यासों में घाट का पत्थर, नीलकंठ, जलती चट्टान, कलंकिनी, आसमान चुप है, चंदन, शीशे की दीवार प्रमुख रही है। आज भी उनकी लिखी कहानियां एवं उपन्यास घर घर में पढ़े जाते हैं। गुलशन नंदा के सभी उपन्यास अपने पहले ही संस्करण में पांच लाख से ऊपर बिकते थे। आज भी निरंतर बिक रहे हैं। इनके कई उपन्यासों पर फिल्म भी बन चुकी है। पाठक आज भी उनके साथ है, भले वे आज हमारे बीच नहीं हैं।

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