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जब रहा न कोई चारा रे,
अंगूरी बनी अंगारा रे।
अंगारा रे अंगारा रे।
सपनों को कुचलने आए, हाए रब्बा कौन बचाए?
अपनों ने मिलकर मारा रे।
अंगूरी बनी अंगारा रे।
पर ही मजबूत इरादा, हट जाती हैं सब बाधा।
बस हिम्मत एक सहारा रे।
अंगूरी बनी अंगारा रे।
Author | Ashok Chakradhar |
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ISBN | 8171829600 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171829600 |
जब रहा न कोई चारा रे,
अंगूरी बनी अंगारा रे।
अंगारा रे अंगारा रे।
सपनों को कुचलने आए, हाए रब्बा कौन बचाए?
अपनों ने मिलकर मारा रे।
अंगूरी बनी अंगारा रे।
पर ही मजबूत इरादा, हट जाती हैं सब बाधा।
बस हिम्मत एक सहारा रे।
अंगूरी बनी अंगारा रे।
ISBN10-8171829600