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जल में कमल - भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- 6-Jal Mein Kamal (Bhagwat Gita Ka Manovigyan) Bhag
जल में कमल - भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- 6-Jal Mein Kamal (Bhagwat Gita Ka Manovigyan) Bhag-back side

Jal Mein Kamal-Bhagwat Gita Ka Manovigyan Bhag-6 (जल में कमल – भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- 6)

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Gunge Keri Sarkar-0

“पुस्तक के बारे में”

“जल में कमल – भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- 6” एक विशिष्ट पुस्तक है जो भगवद् गीता के गूढ़ संदेशों को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। लेखक ने गीता के शिक्षाओं का उपयोग करते हुए मानसिक स्वास्थ्य और आत्मिक विकास पर प्रकाश डाला है। यह पुस्तक पाठकों को संतुलित जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करती है और उन्हें अपने अंतर्मन की गहराइयों में जाकर आत्म-समझ की ओर अग्रसर करती है।

“लेखक के बारे में”

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

“जल में कमल” पुस्तक में भगवद् गीता के कौन-कौन से श्लोकों का वर्णन किया गया है?

इसमें विशेष रूप से उन श्लोकों पर चर्चा की गई है जो मन की स्थिरता, आंतरिक शांति, और जीवन के संघर्षों के समाधान के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

क्या “जल में कमल” पुस्तक केवल धार्मिक लोगों के लिए है?

नहीं, यह पुस्तक सभी के लिए है। यह उन पाठकों के लिए भी उपयोगी है जो धर्म से परे गीता के व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझना चाहते हैं।

क्या “जल में कमल” पुस्तक में मानसिक शांति और तनाव प्रबंधन पर भी चर्चा की गई है?

हां, पुस्तक में मानसिक शांति और तनाव प्रबंधन के लिए गीता के सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप में समझाया गया है।

“जल में कमल” पुस्तक का शीर्षक जल में कमल का क्या तात्पर्य है?

शीर्षक का तात्पर्य यह है कि जैसे जल में कमल होकर भी वह जल से अप्रभावित रहता है, वैसे ही मानव को संसार में रहकर भी सांसारिक क्लेशों से अप्रभावित रहना चाहिए।

क्या पुस्तक में गीता के सिद्धांतों को व्यावहारिक जीवन में लागू करने के उदाहरण दिए गए हैं?

हां, पुस्तक में कई उदाहरण और उपाय दिए गए हैं, जो गीता के सिद्धांतों को जीवन में लागू करने में मदद करते हैं।

Additional information

Weight 400 g
Dimensions 21.6 × 14 × 1.89 cm
Author

Osho

ISBN

8189605739

Pages

304

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8189605739

कर्म-संन्‍यास विश्राम की अवस्‍था, आलस्‍य की नहीं। कर्मयोग और कर्म-संन्‍यास दोनों के लिए शक्ति की जरूरत है दोनों के लिए। आलसी दोनों नहीं हो सकते। आलसी कर्मयोगी तो हो ही नहीं सकता, क्‍योंकि कर्म करने की ऊर्जा नहीं है। आलसी कर्मत्‍यागी भी नहीं हो सकता, क्‍योंकि कर्म के त्‍याग के लिए भी विराट ऊर्जा की जरूरत है। जितनी कर्म को करने के लिए जरूरत है, उतनी ही कर्म को छोड़ने के लिए जरूरत है। हीरे को पकड़ने के लिए मुट्ठी में जितनी ताकत चाहिए, हीरे को छोड़ने के लिए और भी ज्‍यादा ताकत चाहिए। देखें छोड़कर, तो पता चलेगा। एक रुपये को हाथ में पकड़े हुए खड़े रहे सड़क पर, और फिर छोड़ें। पता चलेगा कि पकड़ने में कम ताकत लग रही थी, छोड़ने में ज्‍यादा ताकत लग रही है।

ISBN10-8189605739

ISBN10-8189605739

SKU 9788189605735 Categories , , , Tags ,