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Jeevit Mandir (जीवित मंदिर)

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A Book Is Forever
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पुस्तक के बारे में

सहज का अर्थ होता है कि हवा-पानी की तरह हो जाए।
जीच में बुद्धि से बाधा न डालें।
जो हो रहा है उसे होने दें। जो है, उससे भिन्न होने की कोशिश मत करें।
जो है, उसे स्वीकार कर लें।
जो है, उसे जानें और जीएं।
और इस जीने, जानने और स्वीकार से आएगा परिवर्तन, म्यूटेशन, बदलाहट।
और यह बदलाहट आपको वहां पहुंचा देगी जहां परमात्मा है।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

जीवित मंदिर पुस्तक किस प्रकार की आध्यात्मिक यात्रा पर आधारित है?

जीवित मंदिर पुस्तक एक आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाती है, जहाँ व्यक्ति अपने भीतर के मंदिर (आत्मा) की खोज करता है। यह आत्मज्ञान और आत्म-विकास पर जोर देती है।

जीवित मंदिर पुस्तक के लेखक का दृष्टिकोण क्या है?

जीवित मंदिर पुस्तक के लेखक का दृष्टिकोण यह है कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर एक जीवित मंदिर है, जहाँ शांति, ज्ञान और आनंद की खोज की जा सकती है। उनका मानना है कि बाहरी धार्मिक संरचनाओं से अधिक महत्वपूर्ण हमारे भीतर की दिव्यता है।

जीवित मंदिर पुस्तक में ध्यान की क्या भूमिका है?

जीवित मंदिर पुस्तक में ध्यान को आत्म-साक्षात्कार का प्रमुख साधन बताया गया है। लेखक ने ध्यान को आत्मा से जुड़ने और भीतर की शक्ति को जागृत करने का सर्वोत्तम तरीका बताया है।

जीवित मंदिर पुस्तक में व्यक्ति को अपने भीतर के मंदिर को कैसे पहचानने की सलाह दी गई है?

जीवित मंदिर पुस्तक में व्यक्ति को आत्म-निरीक्षण, ध्यान और ध्यान के माध्यम से अपने भीतर के मंदिर को पहचानने और जागृत करने की सलाह दी गई है। इसमें आंतरिक शांति और संतुलन पर जोर दिया गया है।

जीवित मंदिर पुस्तक किस प्रकार से बाहरी मंदिरों और धार्मिक क्रियाओं के महत्व को चुनौती देती है?

जीवित मंदिर पुस्तक में यह विचार प्रस्तुत किया गया है कि सच्ची पूजा बाहरी धार्मिक स्थलों और क्रियाओं के बजाय आत्मा के आंतरिक विकास में निहित होती है। लेखक का मानना है कि आत्मज्ञान ही सच्ची भक्ति है।

विश्व का पहला हिंदू मंदिर कौन सा था?

विश्व का पहला हिंदू मंदिर माना जाने वाला मुंडेश्वरी मंदिर बिहार में स्थित है, जिसे लगभग 108 ईस्वी में बनाया गया था। यह मंदिर भगवान शिव और शक्ति को समर्पित है और आज भी पूजा-अर्चना के लिए उपयोग में है। अन्य प्राचीन मंदिरों में तमिलनाडु के महाबलीपुरम और नेपाल के गुंडुक मंदिर शामिल हैं।

भारत में कुल कितने मंदिर हैं?

भारत में लगभग 20 लाख से अधिक मंदिर हैं, लेकिन इनकी सटीक संख्या बताना कठिन है क्योंकि हर साल नए मंदिर बनते रहते हैं और कुछ प्राचीन मंदिर समय के साथ नष्ट भी हो जाते हैं। ये मंदिर अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित हैं और हर राज्य में उनकी संख्या अलग-अलग है। जैसे, तमिलनाडु में 33,000 से अधिक मंदिर हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी हजारों मंदिर मौजूद हैं।

Additional information

Weight 140 g
Dimensions 17.8 × 12.7 × 0.9 cm
Author

Osho

ISBN

8128808443

Pages

120

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128808443

जीवित मंदिर एक अद्भुत पुस्तक है जो हमें सिखाती है कि सच्चा मंदिर हमारे भीतर है। यह कृति आंतरिक शांति, आत्मिक जागरण और ध्यान की शक्ति पर केंद्रित है, जो हमें जीवन की गहराईयों से जुड़ने में मदद करती है। आत्म-जागरण की इस यात्रा में, यह पुस्तक एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है और हमें अपने भीतर के मंदिर को पहचानने की प्रेरणा देती है। जीवन में शांति और संतुलन पाने के लिए यह एक उत्कृष्ट पुस्तक है।

ISBN: 8128808443

SKU 9788128808449 Categories , Tags ,

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