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कहै कबीर दीवाना-0
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Kahai Kabir Diwana (कहै कबीर दीवाना)

Original price was: ₹350.00.Current price is: ₹349.00.

A Book is Forever
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पुस्तक के बारे में

कहै कबीर दीवाना – ओशो की कबीर पर गहन व्याख्या द्वारा संत कबीर के गहरे विचारों और उनकी वाणी का गहन विश्लेषण है। कबीर, जो अपनी सीधी और सरल भाषा में जीवन के गहरे सत्य और भक्ति का संदेश देते थे, उनके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

ओशो ने इस पुस्तक में कबीर की वाणी को सरलता से समझाया है, जो प्रेम, भक्ति, ध्यान, और आत्मज्ञान के महत्व पर केंद्रित है। कबीर की वाणी केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन की गहराइयों में जाकर सत्य का अनुभव करने का माध्यम है। ओशो बताते हैं कि कबीर की भक्ति केवल किसी परंपरा से नहीं बंधी है, बल्कि यह जीवन के गहन सत्य को जानने और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग है।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं

कहै कबीर दीवाना पुस्तक किस विषय पर है?

यह पुस्तक कबीर दास के जीवन, उनके विचारों, और उनकी कविताओं के माध्यम से प्रेम, भक्ति, और आत्मज्ञान की गहराई को समझाती है। ओशो कबीर के अद्भुत दृष्टिकोण को सरल और सुलभ भाषा में प्रस्तुत करते हैं।

कबीर की शिक्षाएँ आज के समाज के लिए कितनी प्रासंगिक हैं?

कबीर की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि वे सामाजिक असमानता, धार्मिक भेदभाव और सच्चे प्रेम के महत्व पर जोर देते हैं। उनके विचार आज के समय में भी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

क्या कहै कबीर दीवाना पुस्तक में कबीर की कविताओं का समावेश है?

हाँ, इस पुस्तक में कबीर की प्रसिद्ध कविताओं को उद्धृत किया गया है, जो उनके विचारों और शिक्षाओं को और भी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करती हैं।

ओशो ने कबीर के विचारों को कैसे समझाया है?

ओशो ने कबीर के विचारों को गहनता से विश्लेषित किया है, जिससे पाठकों को उनके संदेश को समझने और आत्मसात करने में मदद मिलती है। ओशो की सरल भाषा और गहरे दृष्टिकोण से कबीर की शिक्षाएँ जीवंत हो उठती हैं।

कहै कबीर दीवाना पुस्तक से मैं क्या सीख सकता हूँ?

इस पुस्तक से आप प्रेम, सच्चाई, और आत्मज्ञान के गहरे सिद्धांतों को सीख सकते हैं, जो आपके जीवन को और अधिक समृद्ध बना सकते हैं।

क्या कहै कबीर दीवाना पुस्तक धार्मिकता की किसी विशेष धारा का प्रतिनिधित्व करती है?

नहीं, यह पुस्तक धार्मिकता के बजाय आध्यात्मिकता पर केंद्रित है। कबीर ने सभी धर्मों के पार जाकर मानवता की सच्चाई को समझाया, और ओशो ने इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया है

Additional information

Weight390 g
Dimensions21.5 × 1.7 × 14 cm
Author

Osho

ISBN

9789351656357

Pages

392

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9351656357

Additional information

Weight390 g
Dimensions21.5 × 1.7 × 14 cm
Author

Osho

ISBN

9789351656357

Pages

392

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9351656357

Original price was: ₹350.00.Current price is: ₹349.00.

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कबीर अपने को खुद कहते हैं: कहे कबीर दीवाना। एक-एक शब्द को सुनने की, समझने की कोशिश करो। क्योंकि कबीर जैसे दीवाने मुश्किल से कभी होते हैं। उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। और उनकी दीवानगी ऐसी है कि तुम अपना अहोभाग्य समझना अगर उनकी सुराही की शराब से एक बूंद भी तुम्हारे कंठ में उतर जाए। अगर उनका पागलपन तुम्हें थोड़ा सा भी छू ले तो तुम स्वस्त हो जाओगे। उनका पागलपन थोड़ा सा भी तुम्हें पकड़ ले, तुम भी कबीर जैसा नाच उठो और गा उठो, तो उससे बड़ा कोई ध्यानयोग नहीं है। वही परम सौभाग्य है। सौभाग्यशालियों को ही उपलब्ध होता है। ओशो


पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:

  • भाव और विचार में कैसे फर्क करें?
  • जीवन में गहन अनुभव से भी वैराग्य का जन्म क्यों नहीं होता?
  • समाधान तो मिलते हैं, पर समाधि घटित क्यों नहीं होती?
  • भक्ति-साधना में प्रार्थना का क्या स्थान है?
  • समर्पण कब होता है?
  • कबीर की बातें उलटबांसी क्यों लगती है? ISBN10-9351656357
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