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Kaivalya Upanishad (कैवल्य उपनिषद) 

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कैवल्य उपनिषद एक आकांक्षा है, परम स्वतंत्रता की। कैवल्य का अर्थ है: ऐसा क्षण आ जाए चेतना में, जब मैं पूर्णतया अकेला रह जाऊं, लेकिन मुझे अकेलापन न लगे। एकाकी हो जाऊं, फिर भी मुझे दूसरे की अनुपस्थिती पता न चले। अकेला ही बचूं, फिर भी ऐसा पूर्ण हो जाऊं कि दूसरा मुझे पूरक करे, इसकी पीड़ा न रहे। कैवल्य का अर्थ है: केवल मात्र में ही रह जाऊं। लेकिन इस भांति हो जाऊं कि मेरे होने में ही सब समा जाए। मेरा होना ही पूर्ण हो जाए। अभिप्राय है यह मनुष्य की, गहनतम प्राणों में छिपी। ISBN: 8171825699

ISBN10-9352619153

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Kaivalya Upanishad (कैवल्य उपनिषद) 
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Product Description

ओशो की जीवंत उपस्थिति को शब्दों में अभिव्यक्त करना संभव नहीं है। हां, संगीत से कुछ इशारे हो सकते हैं, इंद्र-धनुषी रंगों से कुछ चित्र चित्रित हो सकते हैं।
मौन को, शून्य को, आनंद को जिसने अनुभूत कर लिया हो, उसने ओशो को जरा जाना, जरा समझा। सच, ओशो को जीना हो तो ओशोमय होने के अतिरिक्त और कोई उपाय कहां है!
सुबह की ताजी, ठंडी हवाओं को आप कैसे अभिव्यक्त करेंगे? दो प्रेमियों के बीच घट रहे प्रेम के मौन-संवाद को आप कैसे कहेंगे? अज्ञेय को अनुभूत तो कर सकते हैं, लेकिन कहेंगे कैसे?
ओशो रहस्यदर्शी हैं, संबुद्ध हैं, शास्ता हैं, आधुनिकतम बुद्ध हैं। वे परम विद्रोह की अग्नि हैं, जीवन रूपांतरण की कीमिया हैं।
ओशो की पुस्तकों को पढ़ना, अपने को पढ़ना है। स्वयं पढ़कर देख लें, स्वयं जी कर देख लें।

About The Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

कैवल्य उपनिषदu0022 में मोक्ष को कैसे परिभाषित किया गया है?

u0022कैवल्य उपनिषदu0022 में मोक्ष को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है और व्यक्ति ब्रह्मांडीय सत्य को जान लेता है।

कैवल्य उपनिषदu0022 के अनुसार आत्मज्ञान कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

कैवल्य उपनिषदu0022 के अनुसार आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए ध्यान, ब्रह्म-चिंतन और गुरु की शरण में जाना आवश्यक है। आत्मा की पहचान और अहंकार का त्याग आत्मज्ञान की कुंजी मानी गई है।

कैवल्य उपनिषदu0022 में भगवान और आत्मा के संबंध को कैसे समझाया गया है?

कैवल्य उपनिषदu0022 में भगवान और आत्मा के संबंध को अद्वैत सिद्धांत के आधार पर समझाया गया है, जिसमें आत्मा और परमात्मा को एक ही स्वरूप का माना गया है। दोनों के बीच भेद केवल अज्ञानता के कारण होता है।

कैवल्य उपनिषदu0022 में ध्यान और साधना का क्या महत्व है?

u0022कैवल्य उपनिषदu0022 में ध्यान और साधना को आत्मज्ञान प्राप्त करने का प्रमुख साधन बताया गया है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर के सत्य को जान सकता है और मोक्ष की दिशा में अग्रसर हो सकता है।

कैवल्य उपनिषदu0022 का पाठ किस प्रकार के लोगों के लिए उपयुक्त है?

कैवल्य उपनिषदu0022 उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो आध्यात्मिक उन्नति, आत्म-साक्षात्कार, और मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। यह वेदांत दर्शन में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए भी उपयुक्त है।

कैवल्य उपनिषदu0022 में वर्णित ब्रह्म-ज्ञान क्या है?

कैवल्य उपनिषदu0022 में ब्रह्म-ज्ञान को उस ज्ञान के रूप में वर्णित किया गया है जिससे व्यक्ति जानता है कि आत्मा और परमात्मा एक हैं। यह ज्ञान व्यक्ति को सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है।

Additional information

Weight 450 g
Dimensions 23.4 × 15.6 × 1.7 cm
Author

Osho

ISBN

9789352619153

Pages

144

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Power Learning

ISBN 10

9352619153

ISBN : 9789352619153 SKU 9789352619153 Categories , , Tags ,

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