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Kanela Ki Katha-HB (कनैला की कथा)

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कनैला की कथा ग्रामीण भारत की एक प्रेरक लोककथा है जो साहस, संघर्ष, और पारिवारिक मूल्यों पर केंद्रित है। यह कहानी एक ऐसे साधारण व्यक्ति की है, जिसने विपरीत परिस्थितियों में अद्वितीय साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया।
यह पुस्तक प्राचीन भारतीय परंपराओं और ग्रामीण जीवन के महत्व को उजागर करती है। पाठकों को यह कथा प्रेरणा देती है कि कैसे आत्मविश्वास और साहस के साथ हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। सरल और रोचक शैली में लिखी गई, यह कहानी हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है।

ISBN 10 -: 9363184536

पुस्तक के बारे में

कनैला वस्तुत राहुल जी का पितृग्राम है और कनैला की कथा उसका ऐतिहासिक भौगोलिक चित्रफलक है । ईसापूर्व १३ वी शताब्दी में कनैला की स्थिति के बारे में एकदम सन्नाटा है उस जगह पर क्या कुछ था, कहा नही जा सकता। बाद के युग में शिशपा या सिसवा नगर की चर्चा की गई है। जिस समय (ईसापूर्व सातवी सदी) की हम बात कर रहे है, उस समय की भी धरोहर सिसवा और कनैला की भूमि में जरूर छिपी हुई है । वह सामने आती, तो अपनी मूक भाषा में बहुत सी बातें बतलाती। राहुल जी ने कालानुक्रम से कनैला और उसके नगर सिसवा की ऐतिहासिक धरोहर को लघु वृत्तान्तों के माध्यम से स्पष्ट किया है ष्किनैला की कथा में राहुल सांकृत्यायन ने नेपाल के कनेला गाँव की यात्रा के दौरान अपने अनुभवों और वहाँ के सामाजिक, सांस्कृतिक, और भौगोलिक परिदृश्यों का चित्रण किया है। उन्होंने वहाँ के लोगों की जीवनशैली, उनकी समस्याओं, और उनके संघर्षों को बड़े ही सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है।

लेखक के बारे में

हिन्दी साहित्य में महापंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम इतिहास प्रसिद्ध और अमर विभूतियों में गिना जाता है। ये एक भारतीय साहित्यकार, इतिहासकार, तिब्बती भाषा के विद्वान और घुमक्कड़ थे। उनका असली नाम केदारनाथ पांडे था, लेकिन वे राहुल सांकृत्यायन के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्हें हिंदी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। राहुल सांकृत्यायन का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पंदहा नामक गाँव में हुआ था। वे बचपन से ही जिज्ञासु और ज्ञान पिपासु थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने संस्कृत, पाली, प्राकृत, तिब्बती, और कई अन्य भाषाएँ सीखी।

राहुल सांकृत्यायन ने लगभग 150 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें उपन्यास, यात्रा-वृतांत, निबंध, और इतिहास से संबंधित ग्रंथ शामिल हैं। उनके प्रमुख कार्यों में ‘वोल्गा से गंगा’, ‘घुमक्कड़ शास्त्र’, ‘मेरी जीवन यात्रा’ ‘दर्शन-दिग्दर्शन’ आदि शामिल हैं।इसके साथ ही उन्होंने अनेक देशों की यात्रा की और वहाँ के समाज, संस्कृति और भाषा का अध्ययन किया। उनकी तिब्बत यात्राओं ने उन्हें विशेष प्रसिद्धि दिलाई, जहाँ से उन्होंने दुर्लभ पांडुलिपियाँ और ग्रंथ संकलित किए।

कनैला की कथा पुस्तक किस पर आधारित है?

यह कहानी साहस, संघर्ष, और ग्रामीण भारत की परंपराओं पर आधारित है।

कनैला की कथा किस काल की कहानी है?

यह कथा प्राचीन ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है।

क्या कनैला की कथा सच्ची घटना पर आधारित है?

यह एक लोककथा है, जो ग्रामीण भारत की परंपराओं और संस्कृति को दर्शाती है।

कनैला की कथा कहानी का मुख्य संदेश क्या है?

साहस, आत्मनिर्भरता और संघर्ष के महत्व को दर्शाना इसका मुख्य संदेश है

क्या कनैला की कथा में ग्रामीण भारत की संस्कृति को दर्शाया गया है?

हां, इसमें ग्रामीण जीवन, संस्कृति और परंपराओं का सजीव चित्रण है।

Additional information

Weight 0.345 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.5 cm
Author

Rahul Sankrityayan

Pages

138

Formate

Hardcover

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books