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हास्य विद्रूपताओं से और व्यंग्य से जन्मता है। मेरी दृष्टि में अच्छा और सार्थक व्यंग्य वही होता है जो किसी व्यक्ति पर नहीं बल्कि नकारात्मक प्रवृत्ति पर किया गया हो। अच्छा व्यंग्य विसंगतियों, विकृतियों और नकारात्मक प्रवृत्तियों पर प्रहार करते हुए उनके समाधान भी सुझा है। कवि श्री ताराचन्द ‘तन्हा’ के व्यंग्य संग्रह ‘लट्ठमेव जयते’ को पढ़ते हुए इस सत्य की पूरी ताक़ीद होती है कि पुस्तक के व्यंग्य अपनी पूरी शक्ति के साथ विसंगतियों पर प्रहार करते हुए सच की स्थापना करते हैं।
डॉ. ‘तन्हा’ व्यंग्य विधा को नवीन सूक्तियां देने में निपुण हैं।
डॉ. सुरेश अवस्थी
About the Author
डॉ. ताराचंद ‘तन्हा’ <br>(अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध हास्य-व्यंग्यकार )<br>• ‘वाह वाह’ मेगा विनर – 2006 (स्विफ्ट कार विजेता) सोनी सब टी. वी. मुम्बई<br> • ‘वाह वाह क्या बात है’ ‘कविता के छुपे रूस्तम सम्मान प्राप्त सोनी सब टी. वी. मुम्बई – 2013<br>• ‘वाह भाई वाह’ में काव्य पाठ – 2022 शेमारू टी.वी. मुम्बई<br>• ‘विद्या वाचस्पति सम्मान विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर बिहार<br> • साहित्य गौरव सम्मान उ०प्र० राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान सचिवालय उoप्रo<br>• ‘भारत गौरव सम्मान’ विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर, बिहार<br>• प्रकाशन – ‘पत्नी चालीसा’ (हास्य कविता )<br>• लेखन – हास्य-व्यंग्य, कहानी, गीत, संवाद<br> • हिन्दी फीचर फिल्म – ‘गीत नही ये गीता है’ <br>• बॉलीवुड लव सांग – ‘माहिया वे'<br>• रेगुलर मेम्बर – स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन मुम्बई <br>• जन्म – 24 अक्टूबर 1969<br>• जन्म स्थान – अयोध्या ( उ० प्र०)<br>• सम्प्रति – बेसिक शिक्षा परिषद (उ0प्र0)
ISBN10-9359644102
Business and Management, Diamond Books, Economics