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मनोरमा- by munshi prem chand-0
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Manorama (मनोरमा)

Original price was: ₹150.00.Current price is: ₹149.00.

Munshi Premchand
Manorama (मनोरमा)
Munshi Premchand
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Munshi Premchand
Manorama (मनोरमा)

पुस्तक के बारे में

मनोरमा – मुंशी प्रेमचंद का सामाजिक उपन्यास का एक कालजयी सामाजिक उपन्यास है, जिसमें भारतीय समाज की पारंपरिक और आधुनिक विचारधाराओं का टकराव दिखाया गया है। यह उपन्यास नारी जीवन के संघर्ष, प्रेम, बलिदान और सामाजिक बंधनों की कहानी है।

मनोरमा उपन्यास की नायिका है, जो अपने जीवन में सामाजिक मान्यताओं और परंपराओं से जूझती है। उसके जीवन की यह यात्रा भारतीय समाज के भीतर चल रही परंपराओं और आधुनिकता के बीच की खींचातानी को उजागर करती है। मुंशी प्रेमचंद ने इस उपन्यास में नारी सशक्तिकरण, सामाजिक सुधार, और स्वतंत्रता के मुद्दों पर गहराई से विचार किया है।

लेखक के बारे में

धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

मुंशी प्रेमचंद कौन थे

मुंशी प्रेमचंद एक प्रसिद्ध हिंदी और उर्दू लेखक थे, जिन्हें भारतीय साहित्य के पितामह माना जाता है। उनका असली नाम धनपत राय था। उन्होंने 20वीं सदी के प्रारंभ में कई उपन्यास, कहानियाँ और नाटक लिखे, जो सामाजिक मुद्दों, किसान की समस्याओं और मानवता के विविध पहलुओं को उजागर करते हैं। उनके कुछ प्रमुख कार्यों में गोदान, गबन, और नमक का दरोगा शामिल हैं। प्रेमचंद की लेखनी में यथार्थवाद और संवेदनशीलता का गहरा प्रभाव है।

मनोरमा उपन्यास किस बारे में है?

मनोरमा मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया एक सामाजिक उपन्यास है, जो नायिका मनोरमा के जीवन और उसके संघर्षों पर आधारित है। इसमें प्रेम, बलिदान, और नारी अधिकारों की कहानी है।

क्या मनोरमा उपन्यास नारी सशक्तिकरण पर आधारित है?

हां, मनोरमा नारी सशक्तिकरण, सामाजिक बंधन, और नारी अधिकारों पर आधारित है। यह नारी के स्वतंत्रता के संघर्ष की कहानी है।

क्या मनोरमा उपन्यास भारतीय समाज की समस्याओं को दिखाता है?

हां, इस उपन्यास में भारतीय समाज की पारंपरिक और आधुनिक विचारधाराओं के बीच टकराव, स्त्री अधिकार, और सामाजिक बंधनों को गहराई से प्रस्तुत किया गया है।

मुंशी प्रेमचंद जी का हिंदी साहित्य में क्या योगदान है?

मुंशी प्रेमचंद का हिंदी साहित्य में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने न केवल साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर किया। यथार्थवाद: प्रेमचंद ने अपने लेखन में यथार्थवादी दृष्टिकोण को अपनाया। उन्होंने आम आदमी की समस्याओं, विशेषकर किसानों और गरीबों की जीवन स्थितियों को अपने साहित्य में बखूबी प्रस्तुत किया।सामाजिक मुद्दे: उनके लेखन में जातिवाद, गरीबी, भ्रष्टाचार, और शिक्षा जैसे मुद्दों पर गहन विचार किया गया। उनकी कहानियों और उपन्यासों में सामाजिक न्याय की पुकार है। कहानी का विकास: प्रेमचंद ने हिंदी कहानी को एक नई दिशा दी। उनकी कहानियाँ सरल, प्रभावी और विचारशील होती थीं, जो पाठकों को गहराई से प्रभावित करती थीं। उपन्यास लेखन: उनके उपन्यासों ने हिंदी उपन्यास लेखन की नींव रखी। गोदान जैसे उपन्यास ने भारतीय किसानों की समस्याओं को विश्वसनीय तरीके से प्रस्तुत किया। भाषाई सरलता: प्रेमचंद की भाषा आम लोगों के लिए सुलभ थी। उन्होंने साहित्य को आम जनता के बीच लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Additional information

Weight 240 g
Dimensions 13.97 × 0.89 × 24.59 cm
Author

Prem Chand

ISBN

8171829066

Pages

840

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171829066

प्रेमचंद का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास मनोरमा प्रेमचंद भारत की नई राष्ट्रीय और जनवादी चेतना के प्रतिनिधि साहित्यकार थे। अपने युग और समाज का जो यथार्थ चित्रण उन्होंने किया, वह अद्वितीय है। जब उन्होंने लिखना शुरू किया था, तब संसार पर पहले महायुद्ध के बादल मँडरा रहे थे। जब मौत ने उनके हाथ से कलम छीन ली, तब दूसरे महायुद्ध की तैयारियाँ हो रही थीं। इस बीच विश्व-मानव-संस्कृति में बहुत से परिवर्तन हुए। इस परिवर्तन से हिन्दुस्तान भी प्रभावित हुआ और उसने उन परिवर्तनों में सहयोग भी किया। विरासत मानव-संस्कृति की धारा में भारतीय जन-संस्कृति की गंगा ने जो कुछ दिया, उसके प्रमाण प्रेमचंद के उपन्यास और उनकी सैकड़ों कहानियाँ हैं। ‘मनोरमा’ प्रेमचंद का सामाजिक उपन्यास है। रानी मनोरमा के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय की नारी व्यथा को इस उपन्यास में पिरोने का प्रयास किया है। चन्द्रधर का विवाह हो या निर्मला का वियोग इस उपन्यास की सभी घटनाएं तत्कालिक सामाजिक व्यवस्था को देती हैं। ISBN10:-8171829066