Murgasan (Hasya Vayangya) : मुर्गासन (हास्य व्यंग्य)

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मुर्गासन कविता बागी चाचा की लोकप्रिय रचना है। जो पूर्णतः हास्य कविता है । लेकिन उनकी अधिकतर रचनाएँ व्यंग्य प्रधान हैं। बागी चाचा ने अपनी-धर्मिता के समय अपने चारों ओर अपनी पैनी दृष्टि गड़ाए रखी है और हर चीज के हर पहलू का बारीकी से निरक्षण और अध्ययन करके अपनी बात कहने का प्रयास किया है । कवि की सोच और रचनात्मकता का कैनवास बहुत विस्तृत है। अपने समाज की बात करता है। आम आदमी की स्थिति को उजागर करता है, कभी सामाजिक विद्रूपताओं और रिश्ते-नातों की कलई खोलता है तो कभी कल्पना को नई जमीन पर ले जाता है ।

About the Author

मूल नाम : जय किशन कौशिक
जन्म : 7 अक्टूबर, 1948
शिक्षा : बी.ए., बी.एड.
सम्मान : विद्यार्थी जीवन में चित्रकला में विशेष रूचि । कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय द्वारा 1970 में चित्रकला में प्रथम पुरस्कार मिला। कॉलेज का बेस्ट डिबेटर घोषित। आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के अतिरिक्त देशभर के अनेक कवि सम्मेलनों में कविता पाठ । हास्य-व्यंग्य कवि के रूप में प्रतिष्ठित |
प्रकाशित कृति : पेड़ और पुत्र, काव्य सप्तक, मुर्गासन, गजल संग्रह, ‘ओ मेरी गुलदावरी’, दीनू की पुकार ।
सम्प्रति : भारत सरकार के शहरी विकास मन्त्रालय में वरिष्ठ लेखकार के पद से सेवा निवृत ।
इमेल : [email protected]

ISBN10-9359203769

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