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Patnjali Yog Sutra Vol. 3 by Osho-(पतंजलि योग सूत्र-भाग 3)

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अव्याख्य की व्याख्या करने में पतंजलि की कुशलता अनुपम है। कभी भी कोई उनसे आगे निकल पाने में समर्थ नहीं हो पाया है। उन्होंने चेतना के आंतरिक संसार का जितना ठीक संभव हो सकता है, वैसा मानचित्रण कर दिया है; उन्होंने लगभग असंभव कार्य कर दिखाया है।
ISBN10-8184191332

पंतजलि योग सूत्र 3-0
Patnjali Yog Sutra Vol. 3 by Osho-(पतंजलि योग सूत्र-भाग 3)
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Patnjali Yog Sutra Vol. 3
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Patnjali Yog Sutra Vol. 3

पतंजलि योग सूत्र भाग 3 ओशो की व्याख्याओं का तीसरा खंड है, जिसमें पतंजलि के योग दर्शन के उच्चतम सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस भाग में समाधि, आत्मा की खोज, और योग की गहरी प्रक्रियाओं को सरलता से समझाया गया है। ओशो ने समाधि और ध्यान की अवस्थाओं को वर्तमान युग के साधकों के लिए प्रासंगिक बनाते हुए, योग के महत्व को रेखांकित किया है। यह पुस्तक योग के गंभीर साधकों और ध्यान के मार्ग पर चलने वालों के लिए अत्यधिक प्रेरणादायक है।

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

पतंजलि योग सूत्र भाग 3 क्या है?

पतंजलि योग सूत्र भाग 3 ओशो द्वारा पतंजलि के योग सूत्रों की व्याख्या का तीसरा खंड है, जो योग के गहरे और उच्चतम सिद्धांतों जैसे समाधि और आत्मज्ञान पर केंद्रित है। यह पुस्तक योग की गहन अवस्थाओं को समझने में सहायक है।

ओशो पतंजलि योग सूत्र भाग 3 में समाधि को कैसे परिभाषित करते हैं?

ओशो समाधि को चेतना की उच्चतम अवस्था के रूप में परिभाषित करते हैं, जहां व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप का साक्षात्कार करता है। यह अवस्था विचारों से परे, पूर्ण शांति और आनंद की स्थिति है, जो योग का अंतिम लक्ष्य है।

पतंजलि योग सूत्र भाग 3 में आत्म-अन्वेषण का क्या महत्व है?

आत्म-अन्वेषण योग के गहन अभ्यास का मूल है। ओशो बताते हैं कि आत्म-अन्वेषण के बिना, योग केवल एक शारीरिक अभ्यास बनकर रह जाता है। यह पुस्तक साधकों को आत्मा की खोज के लिए प्रेरित करती है, जो जीवन को पूर्णता की ओर ले जाती है।

पतंजलि योग सूत्र भाग 3 में समाधि की कितनी अवस्थाएं बताई गई हैं?

ओशो के अनुसार, समाधि की कई अवस्थाएं होती हैं, जिनमें ‘संप्रज्ञात समाधि’ और ‘असंप्रज्ञात समाधि’ प्रमुख हैं। ये अवस्थाएं व्यक्ति की चेतना की गहराई और उसके आत्मबोध की क्षमता को दर्शाती हैं।

पतंजलि योग सूत्र भाग 3 में आत्म-ज्ञान का क्या महत्व है?

आत्म-ज्ञान योग का परम लक्ष्य है, जहां साधक अपनी वास्तविक प्रकृति का साक्षात्कार करता है। ओशो बताते हैं कि आत्म-ज्ञान के बिना, योग केवल बाहरी अभ्यास बनकर रह जाता है, और यह पुस्तक साधकों को इस दिशा में मार्गदर्शन करती है।

ओशो का दृष्टिकोण आधुनिक जीवन के लिए कितना प्रासंगिक है?

ओशो का दृष्टिकोण आधुनिक जीवन के लिए अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि वे योग के गहरे सिद्धांतों को आज के समय की चुनौतियों के संदर्भ में समझाते हैं। यह पुस्तक व्यक्ति को आंतरिक शांति और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद करती है

Additional information

Weight 570 g
Dimensions 22.86 × 15.24 × 2.31 cm
Author

Osho

ISBN

8184191332

Pages

30

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8184191332