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प्रतिज्ञा मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक सामाजिक यथार्थवादी हिंदी उपन्यास है, जिसमें भारतीय समाज की बुराइयों और नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया गया है। यह उपन्यास एक युवा विधवा, अमरकांत की कहानी पर आधारित है, जो अपने जीवन में समाज के अत्याचारों का सामना करती है और उनसे लड़ने की प्रतिज्ञा करती है।
इस उपन्यास में प्रेमचंद ने समाज के प्रति एक गहरी संवेदनशीलता दिखाई है और नारी जाति की दुर्दशा को उभारा है। प्रतिज्ञा न केवल एक सामाजिक सुधार का आह्वान करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे समाज में फैली कुरीतियों से लड़ने का संकल्प एक व्यक्ति को ताकत दे सकता है।
यह उपन्यास प्रेमचंद के यथार्थवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है और आज भी समाज में प्रासंगिक है। प्रतिज्ञा एक प्रेरणादायक उपन्यास है, जो अपने पाठकों को सामाजिक समस्याओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
प्रेमचंद (1880-1936 ई०) विश्वस्तर के महान् उपन्यासकार और कहानीकार थे। उनके उपन्यासों और कहानियों ने हिन्दी के करोड़ों पाठकों को तो प्रभावित किया ही है, भारत की अन्य भाषाओं के पाठकों के हृदयों का स्पर्श भी किया है। उन्होंने संसार की रूसी, फ्रेंच, अंग्रेजी, चीनी, जापानी इत्यादि भाषाओं में हुए अनुवादों के द्वारा विश्व भर में हिंदी का गौरव बढ़ाया है। प्रेमचंद जनता के कलाकार थे। उनकी कृतियों में प्रस्तुत जनता के सुख-दुःख, आशा-आकांक्षा, उत्थान-पतन इत्यादि के सजीव चित्र हमारे रूप को हमेशा छूते रहेंगे। वे रविन्द्र और शरत् के साथ भारत के प्रमुख कथाकार है जिनको पढ़े बिना भारत को समझना संभव नहीं। इसी प्रकार ‘प्रतिज्ञा’। कथाशिल्पी का एक अनूठा कहानी-संग्रह है। – प्रेमचंद
प्रतिज्ञा मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक यथार्थवादी हिंदी उपन्यास है, जो समाज में फैली बुराइयों और नारी सशक्तिकरण पर आधारित है।
यह उपन्यास समाज की कुरीतियों, विशेषकर नारी उत्पीड़न, पर गहरी दृष्टि डालता है। इसमें नारी सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार का गहन संदेश निहित है।
यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है, जो सामाजिक सुधार, नारी सशक्तिकरण और प्रेमचंद के यथार्थवादी साहित्य में रुचि रखते हैं। यह समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ प्रेरणा देती है।
नहीं, प्रतिज्ञा हर उस पाठक के लिए है जो सामाजिक बुराइयों को समझना और उनसे लड़ने के उपाय ढूंढना चाहता है। यह कहानी सभी पाठकों को प्रेरित कर सकती है।
उपन्यास की मुख्य पात्र अमरकांत और उसके जीवन में आने वाली चुनौतियाँ हैं, जो समाज में फैली कुरीतियों और उनके खिलाफ लड़ने के दृढ़ संकल्प पर आधारित है।
Weight | 0.15 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 1.4 cm |
Author | Prem Chand |
ISBN | 8171826202 |
Pages | 240 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171826202 |
प्रेमचंद का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास
प्रतिज्ञा में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नये रूप में प्रस्तुत किया है, तथा उसका विकल्प भी सुझाया है। प्रतिज्ञा का नायक अमृतराय विधुर है, जो अपना विवाह किसी विधवा से करना चाहता है जिससे कि किसी विधवा का हित हो, दूसरे हमसफर पत्नी भी मिल जाये और किसी नव-यौवना का जीवन नष्ट न हो…।
नायिका ‘पूर्णा’ आश्रयहीन विधवा है जो अपना वैधव्य पति को अर्ध्य समर्पित करते हुए ही व्यतीत करना चाहती है लेकिन कमला प्रसाद जैसे भूखे भेड़िये उसके संयम को तोड़ना चाहते हैं। विषम परिस्थितियों में घुट घुटकर जी रही भारतीय नारी की विषमताओं और नियति का सजीव चित्रण है ‘प्रतिज्ञा’।
ISBN10- 8171826202
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