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Premyog by Swami Vivekananda in Hindi (प्रेमयोग)
Premyog by Swami Vivekananda in Hindi (प्रेमयोग)
Premyog by Swami Vivekananda in Hindi (प्रेमयोग)

Premyog by Swami Vivekananda in Hindi (प्रेमयोग)-In Paperback

Original price was: ₹100.00.Current price is: ₹99.00.

किताब के बारे में

प्रेमयोग -: स्वामी विवेकानंद की ‘प्रेमयोग’ पुस्तक भक्ति और प्रेम के आध्यात्मिक पथ पर एक उज्ज्वल प्रकाश डालती है। इस ग्रन्थ में स्वामीजी प्रेम और भक्ति के गहरे अंतरसंबंधों को बड़ी स्पष्टता से व्यक्त करते हैं। यह पुस्तक इस सत्य को उजागर करती है कि ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम ही भक्ति का सार है। यह प्रेम सांसारिक बंधनों और इच्छाओं से परे एक निर्मल और निःस्वार्थ भावना है। ‘प्रेमयोग’ जीवन में प्रेम के अद्वितीय महत्व पर बल देता है। यह सिखाता है कि प्रेम जीवन की सबसे शक्तिशाली ऊर्जा है, और जब यही प्रेम परमात्मा के प्रति प्रवाहित होता है, तो वह भक्ति का रूप ले लेता है। इस पुस्तक में प्रेमी, प्रेम और प्रेम के पात्र ख्र अर्थात भक्त, भक्ति और भगवान की एकता पर विशेष जोर दिया गया है, जो प्रेम के आध्यात्मिक अनुभव की गहराई को दर्शाता है

लेखक के बारे में

स्वामी विवेकानंद, जिनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, इनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय में अटॉर्नी (वकील) थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र कुशाग्र बुद्धि के थे और उनकी धर्म तथा आध्यात्म में गहरी रुचि थी।शुरुआत में वे ब्रह्म समाज से जुड़े, लेकिन उन्हें वहां संतोष नहीं मिला। अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए वे कई साधु-संतों के पास गए और अंततः उन्हें रामकृष्ण परमहंस में अपना गुरु मिला। रामकृष्ण परमहंस के रहस्यमय व्यक्तित्व और शिक्षाओं ने नरेंद्र के जीवन को पूरी तरह बदल दिया।25 वर्ष की आयु में नरेंद्रनाथ ने संन्यास ले लिया और ‘विवेकानंद’ के नाम से जाने जाने लगे। उन्होंने पूरे भारतवर्ष की पैदल यात्रा की और देश की गरीबी और दुर्दशा को करीब से देखा। उनका मानना था कि ‘मेरा ईश्वर दुखी, पीड़ित हर जाति का निर्धन मनुष्य है। 1893 में, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमेरिका) में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। उनके प्रभावशाली भाषण ने पश्चिमी दुनिया को भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता से परिचित कराया। उन्होंने वेदांत और योग को पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने 1897 में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की। यह मिशन शिक्षा, चिकित्सा सहायता, आपदा राहत और जनजातियों के कल्याण जैसे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से संलग्न है। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो’ का नारा दिया।वे भारतीय राष्ट्रवाद के प्रमुख प्रतीक और एक देशभक्त संत के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्मदिन 12 जनवरी को भारत में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 4 जुलाई, 1902 को मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।

प्रेमयोग पुस्तक किसने लिखी है और इसका मुख्य विषय क्या है?

यह ग्रंथ स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित है और इसका मुख्य विषय है प्रेम के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति।

प्रेमयोग क्या है?

प्रेमयोग वह आध्यात्मिक मार्ग है जिसमें निःस्वार्थ और शुद्ध प्रेम के द्वारा ईश्वर से एकात्मता प्राप्त की जाती है।

स्वामी विवेकानंद प्रेम को किस प्रकार परिभाषित करते हैं?

वे प्रेम को निर्मल, स्वार्थरहित, निष्कलुष भावना मानते हैं, जो सांसारिक इच्छाओं से परे होती है।

प्रेमयोग और भक्तियोग में क्या अंतर है?

प्रेमयोग में प्रेम को भक्ति का सार माना गया है — यानी भक्ति उसी प्रेम का ईश्वर की ओर प्रवाह है।

प्रेमयोग का आध्यात्मिक महत्त्व क्या है?

यह ग्रंथ बताता है कि प्रेम ही ईश्वर तक पहुँचने का सबसे शक्तिशाली और सरल माध्यम है।

Additional information

Weight 0.100 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.5 cm
Author

Swami Vivekanand

Pages

102

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10-: 9363205843

SKU 9789363205840 Category Tags ,