कुंडलिनी जागरण और शक्तिपात

50.00

50.00

Out of stock

प्रस्‍तुत पुस्‍तक में ओशो कुंडलिनी जागरण और चक्र-भेदन पर चर्चा करते हैं। वे कहते हैं- “कुंडलिनी ऊर्जा के दो रूप हैं। अगर कुंडलिनी की ऊर्जा शरीर की तरफ बहे तो काम शक्ति बन जाती है। और अगर वह ऊर्जाआत्‍मा की तरफ बहे तो वह कुंडलिनी बन जाती है।”

ISBN10-8128803921

SKU 9788128803925 Category Tags ,