डायरी के इन पन्नों में आपकी भेंट होगी इस सदी के दो महान बुद्ध पुरुषों-ओशो एवं जिद्दू कृष्णमूर्ति से। लेखक अपनी समझ् यह है कि ओशो ने वैचारिक क्रांति की जो आंधी उठायी है, विद्रोह की जो ज्वाला धधकाई है, उसकी हवा और आंच से कोई बच नहीं सकता, अगर मुरदा ही न हो गया हो।
इस पुस्तक में ओशो के एक पुराने साथी (1955-57) डॉ. भगवान सिंह भी मिलेंगे जो ओशो के छात्र-जीवन के समय की अनेक मजेदार बातें बताते हैं जिन्हें सुनकर आंखे भर-भर आती हैं। ISBN10-8171827330