सिरदर्द घर-घर में होने वाला एक आम रोग है। शायद ही कोई होगा जिसे कभी सिरदर्द नहीं हुआ हो। बाकी रोगों के तो मौसम होते हैं पर सिरदर्द एक ऐसी समस्या है जिसका कोई मौसम नहीं होता। यह कभी भी, किसी भी उम्र में, किसी को भी हो सकता है। यह कब, क्यों और कैसे हो जाता है, इसका पता ही नहीं चलता क्योंकि यह सबको होता है व होता आया है इसलिए हम इसे आम समझ लेते हंै। इसे आम समझने के कारण ही हम इसे गंभीरता से नहीं लेते और जब यह बिगड़कर माइग्रेन का जटिल रूप ले लेता है तो हमारा जीना मुश्किल कर देता है। इससे पहले यह असाध्य रोग बनकर हमारे जीवन की सुख-शांति को नष्टï करे व अन्य रोगों को जन्म दे जरूरी है इससे बचना व मुक्त होना।
पुस्तक का मुख्य उद्देश्य आपको सरल, सुखद, शांत व आनंदित जीवन देना है और यह तभी संभव है जब हमारा मन-मस्तिष्क स्वस्थ होगा। हालांकि सिरदर्द व माइग्रेन होने के कई कारण हैं पर इसका मुख्य कारण हमारी बदलती जीवनशैली है जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इसे न्यौता देती है। सिरदर्द क्या है? यह क्यों होता है? क्या हैं इसके छोटे-छोटे कारण व लक्षण? इसे बिना दवा के प्राकृतिक ढंग जैसे, योग, ध्यान, मुद्रा विज्ञान, आयुर्वेद, घरेलू नुस्खे, व्यायाम, रंग, संगीत, आत्मसम्मोहन, एक्यूप्रेशर एवं सुगंध चिकित्सा आदि के माध्यम से कैसे ठीक किया जा सकता है सब कुछ इस पुस्तक में उपलब्ध है।