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किताब के बारे में
छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज मां भारती के सच्चे सपूत थे। उन्होंने अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘हिंदवी स्वराज्य’ अर्थात भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की सोच को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। अपने पिता के इस महान विचार को सिरे चढ़ाने के लिए उन्होंने मुगलविहीन भारत बनाने का संकल्प लिया। यह भारतीय इतिहास का दुर्भाग्य ही है कि जहां प्रचलित इतिहास में हम छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘हिंदवी स्वराज्य’ के संकल्प की उपेक्षा करते हैं, वहीं छत्रपति संभाजी महाराज के ‘मुगल विहीन भारत’ बनाने के संकल्प को भी दृष्टि से ओझल करने का प्रयास करते हैं।
यह पुस्तक डॉ. राकेश कुमार आर्य द्वारा लिखी गई है।
संभाजी महाराज का जीवन संघर्ष, वीरता और बलिदान।
छत्रपति संभाजी महाराज ने अपने पूरे जीवनकाल में 120 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की
मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे थे संभाजी महाराज। वह छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह ही वीर, साहसी योद्धा थे। पिता शिवाजी के बाद उन्होंने ही मराठा साम्राज्य की बाग-डोर संभाली।
संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को महाराष्ट्र के पुरंदर किले में हुआ था। वे महान मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज और सईबाई के पुत्र थे। संभाजी महाराज ने बचपन से ही संस्कृत, मराठी, फारसी और हिंदी भाषा में दक्षता प्राप्त की थी। वे एक विद्वान लेखक और कवि भी थे।
Weight | 0.175 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 1.5 cm |
Author | Dr. Rakesh Kumar Arya |
Page | 192 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN10-9363235858
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