दोहा अर्धसम मात्रिक छंद है और साहित्य – क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय है । दोहे की रचना आसान है परन्तु इतने छोटे से और स्वतंत्र छंद में भावों- विचारों को पिरोना थोड़ा कठिन कार्य है। मुझे दोहा छंद अत्यंत प्रिय है और मैं काफी समय से दोहे लिख रहा हूँ। मुझे यह महसूस होता रहा कि मैं अभी इससे अच्छा लिख सकता हूँ, यही एहसास मुझे दिनेश- दोहावली तक खींच लाया जो आपके हाथों में है । पुस्तक में ख़ाली स्थानों पर कुंडलिया छंद एवं एक गीतिका भी दी गई है।
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