Ghumakkad Shastra (घुमक्कड़ शास्त्र)

175.00

175.00

In stock

राहुल जी का समूचा जीवन घुमक्कड़ी का था । भिन्न-भिन्न भाषा साहित्य एवं प्राचीन संस्कृत – पाली – प्राकृत अपभ्रंश आदि भाषाओं का अनवरत अध्ययन-मनन करने का अपूर्व वैशिष्ट्य उनमें था। प्राचीन और नवीन साहित्य-दृष्टि की जितनी पकड़ और गहरी पैठ राहुल जी की थी। ऐसा योग कम ही देखने को मिलता है। घुमक्कड़ जीवन के मूल में अध्ययन की प्रवृत्ति ही सर्वोपरि रही राहुल जी के साहित्यिक जीवन की शुरुआत सन् 1927 ई. में होती है। वास्तविकता यह है कि जिस प्रकार उनके पाँव नहीं रुके, उसी प्रकार उनकी लेखनी भी निरन्तर चलती रही। विभिन्न विषयों पर उन्होंने 150 से अधिक ग्रंथों का प्रणयन किया है। अब तक उनके 130 से भी अधिक ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। लेखों, निबन्धों एवं भाषणों की गणना एक मुश्किल काम है।
हिन्दी साहित्य में महापंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम इतिहास प्रसिद्ध और अमर विभूतियों में गिना जाता है। राहुल जी की जन्मतिथि 9 अप्रैल, 1893 ई. और मृत्युतिथि 14 अप्रैल, 1963 ई. है राहुल जी का बचपन का नाम केदार नाथ पाण्डे था। बौद्ध दर्शन से इतना प्रभावित हुए कि स्वयं बौद्ध हो गये। ‘राहुल’ नाम तो बाद में पड़ा-बौद्ध हो जाने के बाद ‘सांकृत्य’ गोत्रीय होने के कारण उन्हें राहुल सांकृत्यायन कहा जाने लगा।
‘घुमक्कड़ – शास्त्र’ महापंडित राहुल सांकृत्यायन के घुमक्कड़ जीवन के अनुभवों का निचोड़ है। इसमें राहुल जी ने यह दिखाने की चेष्टा की है कि घुमक्कड़ी का जीवन बिताने वाले व्यक्तियों का यह परम कर्तव्य है कि वे अपने अनुभवों को लेखबद्ध करते जायँ जिससे भावी पीढ़ी के घुमक्कड़ को उनके अनुभवों का लाभ मिल सके।

ISBN10-935964160X

SKU 9789359641607 Categories , Tags ,