


पुस्तक के बारे में
ठाकुर का कुआं” मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण कहानी है, जो भारतीय समाज में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता को उजागर करती है। इस कहानी में ठाकुर और गाँव के लोगों के बीच का संघर्ष दर्शाया गया है, जो मानवता और नैतिकता के गहरे प्रश्नों को उठाता है। प्रेमचंद ने इस रचना के माध्यम से समाज के कमजोर वर्ग की स्थिति को संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक सामाजिक न्याय और समानता के महत्व को समझ सकते हैं। यह कहानी आज भी प्रासंगिक है और हमें सामाजिक मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है
लेखक के बारे में
धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्व��ी प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
ठाकुर का कुआं किस विषय पर आधारित है?
यह कहानी मानवता, धर्म, और सामाजिक न्याय पर आधारित है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं का चित्रण किया गया है।
क्यों ठाकुर का कुआं महत्वपूर्ण है?
यह पुस्तक पाठकों को सामाजिक मुद्दों पर विचार करने और मानवता के गहरे अर्थों को समझने में मदद करती है।
ठाकुर का कुआं’ कविता पर विवाद की वजह क्या है?
ठाकुर का कुआं कविता पर विवाद की वजह मुख्यतः इसके सामाजिक और जातीय मुद्दों से जुड़ी है। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं: जातिगत भेदभाव: कविता में ठाकुर और गाँव के अन्य लोगों के बीच के सामाजिक भेदभाव को उजागर किया गया है। यह भेदभाव जाति व्यवस्था और उसके दुष्प्रभावों को दर्शाता है, जो कुछ लोगों को आहत कर सकता है।सामाजिक असमानता: कविता में दिखाए गए सामाजिक असमानता के मुद्दे ने कई पाठकों और विचारकों को चिंतित किया। यह व्यवस्था उन लोगों को प्रभावित करती है जो कमजोर वर्ग से आते हैं। नैतिकता और मानवता: कविता में वर्णित घटनाएँ और पात्रों की स्थिति मानवता और नैतिकता के सवाल उठाते हैं। कुछ लोग इसे समाज के लिए एक गंभीर दृष्टिकोण मानते हैं, जबकि अन्य इसे विवादास्पद समझते हैं। राजनीतिक संदर्भ: समय-समय पर, इस कविता का उपयोग राजनीतिक विमर्श में भी किया गया है, जिससे इसे और विवादित बनाया गया है।
प्रेमचंद ने ठाकुर का कुआं कब लिखी थी?
यह कहानी प्रेमचंद ने 1930 के दशक में लिखी थी, जो उनके सामाजिक चिंतन को दर्शाती है।
ठाकुर का कुआं में पानी का क्या प्रतीकात्मक महत्व है?
पानी इस कहानी में जीवन, समानता और स्वतंत्रता का प्रतीक है। गरीबों और दलितों के लिए पानी तक पहुंच की कठिनाई उनकी सामाजिक स्थिति और उत्पीड़न को दर्शाती है।