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Saket (साकेत)-In Paperback

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किताब के बारे में

साकेत -: राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की वह अमर कृति है जिसे गुप्त जी अपने साहित्यिक जीवन की अंतिम रचना के रूप में पूरी करना चाहते थे। उनकी इस इच्छा के अनुरूप साकेत वास्तविक अर्थों में उनकी अमर रचना बन गई। यद्यपि साकेत में राम, लक्ष्मण और सीता के वन गमन का मार्मिक चित्रण है, कि इस कृति में समस्त मानवीय संवेदनाओं की अनुभूति पाठक को होती है।इस कृति में उर्मिला के विरह का जो चित्रण गुप्त जी ने किया है वह अत्यधिक मार्मिक और गहरी मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं से ओत-प्रोत है। सीता तो राम के साथ वन गईं, किन्तु उर्मिला लक्ष्मण के साथ वन न जा सकीं। इस कारण उनके मन में विरह की जो पीड़ा निरंतर प्रवाहित होती है उसका जैसा करुण चित्रण राष्ट्रकवि ने किया है, वैसा चित्रण अन्यत्र दुर्लभ है।इस करुण चित्रण को पढ़कर पाठक के मन में करुणा की ऐसी तरंग उठना अनिवार्य है, कि आंखें बरबस नम हो जायें और राष्ट्रकवि की साहित्यिक क्षमता को नमन कर उठें।

साकेत पुस्तक किसने लिखा है और यह किस प्रकार की रचना है?

साकेत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक खड़ी बोली में लिखा गया महाकाव्य है।

साकेत पुस्तक की प्रमुख विशेषता क्या है?

इसकी विशेषता उर्मिला के विरह का अत्यंत करुण और भावनात्मक चित्रण है, जो अन्य रामकाव्यों से इसे अलग बनाता है।

साकेत में उर्मिला का चित्रण इतना विशेष क्यों माना जाता है?

क्योंकि उन्होंने वन न जाकर भी 14 वर्षों तक मानसिक वनवास भोगा, जो त्याग और सहिष्णुता का प्रतीक है।

साकेत को मैथिलीशरण गुप्त की अंतिम रचना क्यों कहा जाता है?

क्योंकि वे इसे अपने साहित्यिक जीवन की अंतिम और सर्वोच्च रचना के रूप में पूर्ण करना चाहते थे।

इस काव्य का नाम साकेत क्यों रखा गया है?

साकेत अयोध्या का एक पौराणिक नाम है, जो राम और उनके कुल से जुड़ा है।

Additional information

Weight 0.325 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.3 cm
Author

Maithli Sharan Gupt

Pages

368

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10-: 9363185885

SKU 9789363185883 Categories , Tags ,

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