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‘जो उस मूलस्रोत को देख लेता है–यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है–वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है।’ वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है। जिसको मैंने ‘संभोग से समाधि की ओर’ कहा है, उसको ही बुद्ध ‘अमानुषी रति’ कहते हैं। एक तो रति है मनुष्य की–स्त्री और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है, या आभास होता है कम से कम। फिर एक और रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है_ जब तुम अपने से मिलते हो। एक तो रति है दूसरे से मिलने की। और एक रति है अपने से मिलने की। जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि है। संभोग में समाधि की झलक है_ समाधि में संभोग की पूर्णता है।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है। हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
यह पुस्तक उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो यौन ऊर्जा को समझकर उसका उपयोग आध्यात्मिक विकास और आत्मबोध के लिए करना चाहते हैं। यह ध्यान और आत्मज्ञान की खोज करने वाले व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
हाँ, संभोग से समाधी की ओर में केवल यौन ऊर्जा पर ही नहीं, बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं जैसे ध्यान, मानसिक शांति, और आत्मज्ञान पर भी चर्चा की गई है।
संभोग से समाधी की ओर के अनुसार आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपनी यौन ऊर्जा को सही दिशा में मोड़कर ध्यान और समाधि का अभ्यास करना चाहिए। इससे मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
संभोग से समाधी की ओर का उद्देश्य यौन ऊर्जा को समझना और उसे आध्यात्मिकता की ऊँचाइयों तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त करना है, ताकि व्यक्ति आत्मज्ञान की ओर बढ़ सके।
हाँ, संभोग से समाधी की ओर को कुछ धार्मिक और सामाजिक समुदायों द्वारा विवादास्पद माना जाता है, क्योंकि ओशो ने यौन ऊर्जा और आध्यात्मिकता को लेकर खुले विचार व्यक्त किए हैं, जो पारंपरिक मान्यताओं के विपरीत हैं।
संभोग से समाधी की ओर में ओशो ने ध्यान को यौन ऊर्जा को रूपांतरित करने का मुख्य साधन बताया है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति आत्मबोध और शांति प्राप्त कर सकता है।
Weight | 0.325 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 2.3 cm |
Author | OSHO |
ISBN-13 | 9789352969142 |
ISBN-10 | 9352969146 |
Pages | 364 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/sambhog-se-samadhi-ki-aur/p/itmdytpfdsmzqkn4?pid=9789352969142 |
संभोग से समाधि की ओर ओशो की एक क्रांतिकारी पुस्तक है जो यौन ऊर्जा के माध्यम से ध्यान और समाधि की यात्रा को उजागर करती है। इस पुस्तक में ओशो ने यह समझाया है कि यौनता को दमन करने के बजाय, इसे सही दिशा में ले जाना चाहिए। यौन ऊर्जा को आध्यात्मिकता में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है, इस पर गहराई से चर्चा की गई है। ओशो की यह रचना पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देते हुए एक नई दृष्टि प्रदान करती है।
ISBN10-9352969146
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