किताब के बारे में
सम्पूर्ण वास्तुशास्त्रा प्राचीन वास्तुकला को लेकर लिखी गई पहली पुस्तक है, जिसमें भवन-स्थापत्य कला पर विस्तृत चिंतन किया गया है। नए मकान का प्रवेश द्वार किधर हो? द्धारवेध किसे कहते हैं, कितने प्रकार के होते हैं? भवन में जल (Water-tank) स्थान कहां, किधर होना चाहिए? पाकशाला (Kitchen) में अग्नि स्थान (Fire-Spot) कहां हो? शयन कक्ष (Bed-Room) किस दिशा में होना चाहिए ताकि शयनकर्त्ता को भरपूर नींद आ सके। निवास करने योग्य भूखंड की आकृति कैसी होनी चाहिए। भू-परीक्षण के क्या-क्या शास्त्राीय विधन हैं? सही वास्तु के मुहूर्त कैसे देखे जाते हैं? इन सभी पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान लेखक डॉ. भोजराज द्विवेदी ने व्यावहारिक चित्रों के साथ पुस्तक को बहुत ही सुंदर ढंग से संवारा-संजोया है।
लेखक के बारे में
इस पुस्तक के सहलेखक पं. रमेश भोजराज द्विवेदी ने अल्प समय में ही ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंकविद्या आदि के क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित की है। भारत की कई प्रसिद्ध हस्तियां, राजनेता, फिल्म सितारे, क्रिकेट खिलाड़ी द्विवेदी जी से नियमित ज्योतिषीय परामर्श व मार्गदर्शन लेते रहते हैं। रमेश जी के द्वारा की गई सार्वजनिक महत्व की भविष्यवाणियां वक़्त की कसौटी पर खरी उतर चुकी हैं।
सम्पूर्ण वास्तुशास्त्र पुस्तक किस विषय पर आधारित है?
यह पुस्तक प्राचीन भारतीय वास्तुकला और भवन-स्थापत्य कला पर आधारित है।
सम्पूर्ण वास्तुशास्त्र पुस्तक के लेखक कौन हैं?
पुस्तक के लेखक डॉ. भोजराज द्विवेदी हैं, और सहलेखक पं. रमेश भोजराज द्विवेदी हैं।
सम्पूर्ण वास्तुशास्त्र पुस्तक में कौन-कौन से वास्तु संबंधी विषयों को शामिल किया गया है?
इसमें भवन निर्माण, भूखंड चयन, द्वारवेध, जल-स्रोत, पाकशाला, शयनकक्ष, भू-परीक्षण और शुभ मुहूर्त जैसी महत्वपूर्ण वास्तुशास्त्रीय अवधारणाओं को शामिल किया गया है।
वास्तुशास्त्र में नए मकान का प्रवेश द्वार किस दिशा में होना चाहिए?
यह दिशाओं और वास्तु सिद्धांतों के आधार पर निर्धारित किया जाता है, जो पुस्तक में विस्तार से समझाया गया है।
वास्तु के अनुसार शुभ मुहूर्त कैसे देखे जाते हैं?
घर निर्माण, गृह प्रवेश, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त निकालने की विधि पुस्तक में समझाई गई है।