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किताब के बारे में
सांख्य दर्शन भारतीय दर्शनशास्त्र का एक प्रमुख अंग है, जो सृष्टि और आत्मा के मूलभूत रहस्यों को उजागर करता है। सभी मत वाले मानते हैं कि दर्शन की दृष्टि से सांख्य-दर्शन या जीवन की सांख्य-प्रणाली आदि प्रणालियों में मानी जाती है और भारतीय चिंतन-परंम्परा की बात करते हुए ‘के. दामोदरन’ ने उसे मूल वैदिक प्रणाली नहीं माना और उनका यह भी कहना है कि महाभारत आदि में सांख्य की विचारधारा मिल जाती है। उनके विचार में सांख्य की विचारधारा मिल जाती है। उनके विचार में सांख्य विचार-पद्धति, जो प्राचीनतम दार्शनिक प्रणालियों में से एक है, भारत के वैचारिक जीवन को एक लंबे समय तक काफी प्रभावित किए रही। कुछ विद्वानों के मतानुसार इस प्रणाली का नाम सांख्य-प्रणाली इसलिए पड़ा कि यह वैदिक अवधारणाओं से नहीं, वरन तर्कपूर्ण और युक्तियंक्त चिंतन के द्वारासत्य की प्राप्ति की समर्थक थी। सांख्य-प्रणाली, जैसा कि डैवीजी ने कहा है ‘विश्व की उत्पत्ति, मनुष्य की प्रकृति और उनके पारस्परिक संबंधों तथा उनके भविष्य के बारे में प्रत्येक विचारवान मनुष्य के मस्तिष्क में उठने वाले रहस्यपूर्ण प्रश्नों के केवल युक्ति द्वारा उत्तर देने का अब तक उपलब्ध प्राचीनतम प्रयास है।
लेखक के बारे में
डॉ. विनय ने हमेशा भारतीय मनीषियों से सृष्टि के रहस्यों को जानने का प्रयास किया। उनके अनुसार आधुनिक जीवन में अनेक विशिष्ट बातों पर मतभेद होने के बाद भी मानवीय मूल्यों का महत्व नहीं खो सकता, क्योंकि मानवीय गुणों के बिना किसी बेहतर समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। विनय के अनुसार हमारी पौराणिक कथाएँ हमें वह आधार प्रदान करती हैं, जिसकी हम कल्पना करते हैं। अपने साहित्य के माध्यम से विनय भारतीय पौराणिक कथाओं, उसके रहस्यों और कर्मकांडों के महत्व को प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं। उनके अन्य कार्यों में कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण, पद्म पुराण, पदम पुराण, कल्कि पुराण, वराह पुराण, ब्रह्म पुराण, नारद पुराण, गणेश पुराण और देवी भगत पुराण शामिल हैं।
यह भारतीय दर्शन की छह प्रमुख धाराओं में से एक है, जो सृष्टि और आत्मा के मूलभूत सिद्धांतों को समझाती है।
द्वैतवाद, प्रकृति और पुरुष का विभाजन और 25 मुख्य तत्व- मन, बुद्धि, अहंकार, पंचमहाभूत, पंचतन्मात्रा, और अन्य तत्व की व्याख्या हैं।
प्रकृति भौतिक और मानसिक तत्वों का स्रोत है, जबकि पुरुष चेतना और आत्मा का प्रतीक है।
सांख्य दर्शन एक प्राचीन भारतीय दर्शन है जो सृष्टि के रहस्यों को समझने और मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। यह दर्शन ज्ञान मार्ग पर बल देता है और मानव जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट करता है।
सांख्य दर्शन ने भारतीय दर्शन को गहराई से प्रभावित किया है। इस दर्शन ने सृष्टि, चेतना और मोक्ष जैसे गहन विषयों पर विस्तृत चर्चा की है। सांख्य दर्शन योग दर्शन का आधार भी है।
Weight | 0.300 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 1.6 cm |
Author | Dr. Vinay |
Pages | 160 |
Format | Hardcover |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN10-:9359642185