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ओशो का परिचय नहीं दिया जा सकता; फिर भी भाव होता है कि कुछ कहा जाए उनके विषय में । कहा भी क्या जाए, गीत फूटते हैं उनके लिए, ऐसे हैं वे । असमर्थ हैं हम कुछ भी कहने में, लेकिन बिना कहे भी कैसे रहा जा सकता है। उनमें प्रतिपल ऐसा कुछ घट रहा है, जो आंदोलित करता है, स्पंदित करता है। पाते हैं कि हम कुछ कह रहे हैं नृत्य से, पुलक से, थिरक से । कह रहे हैं, निमंत्रण दे रहे हैं कि आओ, इस महोत्सव में सम्मिलित हो जाओ । वे इस पृथ्वी पर हम मनुष्यों जैसे मनुष्य ही थे – आकार आकृति में। फिर भी उनमें किसी ऐसी परा सत्ता के दर्शन होते हैं, जिससे हमारी आंखें खुल – खुल जाती हैं। उनके रोए रोएं से कोई गीत-संगीत फूटता, उसको केवल गीत-संगीत कर देने से भी अभिव्यक्ति पूरी नहीं होती।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
सत भाषे रैदास: रैदास वाणी में रैदास की मुख्य शिक्षाएँ प्रेम, भक्ति, समानता और सच्चाई पर आधारित हैं, जो समाज में एकता और सद्भावना लाने का संदेश देती हैं।
सत भाषे रैदास: रैदास वाणी में रैदास की वाणी का महत्व यह है कि वह जीवन में सच्चाई, सरलता और भक्ति के मार्ग को अपनाने पर जोर देती है, जो आत्म-ज्ञान और मुक्ति की ओर ले जाता है।
सत भाषे रैदास: रैदास वाणी में रैदास ने समाज में जात-पात, भेदभाव, और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और समानता, भाईचारे और मानवता के सिद्धांतों पर जोर दिया।
सत भाषे रैदास: रैदास वाणी में रैदास की भक्ति परंपरा को इस प्रकार दर्शाया गया है कि वह निर्गुण भक्ति के अनुयायी थे और उन्होंने ईश्वर की भक्ति को जातिगत बंधनों और धार्मिक आडंबरों से ऊपर रखा।
सत भाषे रैदास: रैदास वाणी में मुक्ति का मार्ग प्रेम, भक्ति, और सच्चाई के साथ जीवन जीने, अहंकार को त्यागने और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण में बताया गया है।
सत भाषे रैदास: रैदास वाणी में रैदास ने अहंकार को आत्मा की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बताया है और कहा है कि अहंकार का त्याग करने से ही व्यक्ति ईश्वर से मिलन और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है।
Weight | 240 g |
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Dimensions | 21.5 × 14 × 1.2 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8171824943 |
Pages | 256 |
Format | Hardcover |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171824943 |
रैदास कबीर के गुरुभाई हैं। रैदास और कबीर दोनों एक ही संत रामानंद के शिष्य हैं। रामानंद गंगोत्री जिनसे कबीर और रैदास के गुरु हैं-रामानंद जैसे अद्भुत व्यक्ति, और रैदास की शिष्या है-मीरा जैसी अद्भुत नारी। इन दोनों के बीच में रैदास की चमक अनूठी है। रामनंद को लोग भूल ही गये होते अगर रैदास और कबीर न होते। रैदास और कबीर के कारण रामानंद याद किये जाते हैं। उन्हीं रैदास की वाणी को ओशो ने अपने प्रवचनों में ढाला है जिसे इस पुस्तक में पेश किया है।
ISBN10: 8171824943
Religions & Philosophy, Books, Diamond Books, Religious