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Satgure Mile Te Ubre (सतगुरु मिले त उबरे)

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सतगुरु मिले त उबरे सतगुरु के मार्गदर्शन की महिमा और उनके सान्निध्य में जीवन के संकटों से मुक्ति की कथा है। इसमें संतों की शिक्षा के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त करने और आत्म-ज्ञान की खोज पर जोर दिया गया है। सतगुरु के प्रति समर्पण से जीवन को सही दिशा और उद्देश्य प्राप्त होता है। यह पुस्तक पाठकों को सतगुरु की महत्ता और उनके मार्गदर्शन के प्रभाव को समझने के लिए प्रेरित करती है।

ISBN: 8171821480

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Product description

हम जी रहे हैं, हमारे चारों ओर फैला विचार अस्तित्व जी रहा है, लेकिन कभी इस चमत्कार के प्रति हमारे मन में ताज्जुब नहीं उठता। कभी-कभी कोई बिरला व्यक्ति इस जगत के प्रति विस्मय भाव से भर उठता है। इसका रहस्य खोलने की जिज्ञासा उसके प्राणों को आग की तरह पकड़ लेती है और वह अपने को खोज देने के लिए इस खोज पर।

रहस्य खुलता तो नहीं बल्कि और गहरा होता जाता है। और खोजते-खोजते अंततः खोजने वाला इस रहस्य में इस कदर समा जाता है कि खुद रहस्य बन जाता है।
और वह चलता-फिरता रहस्य जब थक कर बाजार में आकर सोये हुए लोगों को जगाने लगता है तो नींद से अस्त-व्यस्त आंखें खोलकर वे नाराजगी से देखने की कोशिश करते हैं: कौन है यह? इसे हमारा चैन छीनने का हक किसने दिया? फिर एक दिन वे भी, लेकिन जहां तक धैर्य डाल देते, उठते, देखते, ताज्जुब की बात यह कि वे भी मन की चिता जलाते हैं, इस पर जानकर ओशो राजनीति जैसी सिखियों की कूट शुरू होती है। इसलिए अगर मन में ओशो राजनीति का परिचय पाना हो तो तत्काल अपने को पहचानने की यात्रा पर निकल पड़ना।

About The Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

“सतगुरु मिले त उबरे” पुस्तक में सतगुरु की भूमिका क्या है?

“सतगुरु मिले त उबरे” में सतगुरु की भूमिका एक मार्गदर्शक के रूप में है, जो भक्तों को अज्ञानता और संसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाकर आत्मज्ञान की ओर ले जाते हैं।

“सतगुरु मिले त उबरे” में क्या संदेश दिया गया है?

“सतगुरु मिले त उबरे” में यह संदेश दिया गया है कि सही मार्गदर्शक (सतगुरु) मिलने से ही जीवन के सभी दुखों और भ्रमों से उबरने का मार्ग संभव है, और यह मुक्ति और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति का साधन है।

“सतगुरु मिले त उबरे” पुस्तक के अनुसार सतगुरु से मिलने का महत्व क्या है?

“सतगुरु मिले त उबरे” के अनुसार, सतगुरु से मिलना आत्मिक उन्नति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि सतगुरु व्यक्ति को सही मार्ग दिखाकर ईश्वर की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ाते हैं।

“सतगुरु मिले त उबरे” में सतगुरु को कैसे पहचाना जा सकता है?

“सतगुरु मिले त उबरे” में सतगुरु को उनकी करुणा, ज्ञान और दिव्य चेतना से पहचाना जा सकता है, जो शिष्य को संसार के बंधनों से मुक्त कर सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

“सतगुरु मिले त उबरे” में क्या यह कहा गया है कि सतगुरु के बिना मुक्ति संभव है?

“सतगुरु मिले त उबरे” में यह स्पष्ट किया गया है कि सतगुरु के बिना मुक्ति अत्यंत कठिन है, क्योंकि सतगुरु ही वह व्यक्ति हैं जो आत्मा को सच्चाई और ईश्वर के मार्ग पर चलने की दिशा दिखाते हैं।

“सतगुरु मिले त उबरे” के लेखक ने सतगुरु की क्या परिभाषा दी है?

“सतगुरु मिले त उबरे” के लेखक ने सतगुरु को वह दिव्य प्राणी बताया है जो संसारिक अज्ञानता और भ्रम से शिष्य को मुक्त करके उसे आध्यात्मिक ज्ञान और मुक्ति की ओर अग्रसर करते हैं।

Additional information

Weight 168 g
Dimensions 12.7 × 0.99 × 17.78 cm
Author

Osho

ISBN

8171821480

Pages

112

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171821480