Satyarth Prakash Me Itihaas Vimarsha (सत्यार्थ प्रकाश में इतिहास विमर्श)

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जब महर्षि दयानंद जी महाराज ‘वेदों की ओर लौटो’ का उद्घोष कर रहे थे तो उनके उद्घोष का अभिप्राय अपने स्वर्णिम अतीत की ओर लौटने से था अर्थात अपने स्वर्णिम इतिहास को खोजकर उसे वर्तमान में स्थापित करने का संकल्प दिलाने के लिए हम भारतवासियों को उन्होंने यह नारा दिया था।
स्वामी जी महाराज समग्र क्रांति के अग्रदूत थे। भारत में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व धार्मिक सभी क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर वे भारत को भारत की आत्मा से, भारत के स्वर्णिम अतीत से अर्थात भारत के गौरवशाली इतिहास से जोड़ना चाहते थे।। उनके द्वारा लिखित अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश को हमें इसी दृष्टिकोण से पढ़ना चाहिए। प्रस्तुत पुस्तक में पुस्तक के लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा सत्यार्थ प्रकाश के आध्यात्मिक पक्ष की भी इसी प्रकार व्याख्या की गई है। निश्चित रूप से लेखक का यह प्रयास स्तवनीय है। जिन्होंने पहली बार सत्यार्थ प्रकाश का इस प्रकार सत्यार्थ करने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में सत्यार्थ प्रकाश के पहले सात समल्लासों को समाविष्ट किया गया है।

About the Author

17 जुलाई 1967 को उत्तर प्रदेश के जनपद गौतमबुद्धनगर। (तत्कालीन जनपद बुलंदशहर ) के ग्राम महावड़ में जन्मे डॉ. आर्य की अब तक 65 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ. आर्य की प्रत्येक पुस्तक भारतीय धर्म संस्कृति और इतिहास को समर्पित है। इस प्रकार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुनर्जागरण में डॉ आर्य का। महत्वपूर्ण योगदान है।
डॉ आर्य का मानना है कि सत्यार्थ प्रकाश को स्वामी दयानंद जी महाराज के चिंतन, मान्यता और सिद्धांतों को समझ कर पढ़ने की आवश्यकता है। स्वामी जी महाराज भारत को विश्व गुरु के पद पर विराजमान होते देखना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने भारत को सबसे पहले स्वाधीन कराने का संकल्प लिया।
यही कारण था कि उन्होंने 1857 की क्रांति में बढ़-चढ़कर योगदान दिया। उसके पश्चात उनके द्वारा स्थापित आर्य समाज ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। स्पष्ट है कि राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पण स्वामी जी के रोम – रोम में समाया था। इसलिए उनके अमर ग्रंथ सत्यार्थ। प्रकाश के प्रत्येक पृष्ठ की प्रत्येक पंक्ति में राष्ट्रोन्नति के अमूल्य मंत्र छुपे हैं।।
लेखक की यह पुस्तक भी स्वामी दयानंद जी के इसी संकल्प को समर्पित है कि वेदों की ओर लौटो। अपने अतीत को खोजो। अपने गौरवशाली इतिहास को पुनर्स्थापित करो।। ऋषि और कृषि के देश भारत के प्रति समर्पित होकर रहो।।

ISBN10-9356840385