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Shunya Samadhi (शून्य समाधि) by osho

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आज सारी मनुष्यता बीमार है। प्रकृति के चारों तरफ दीवालें उठा दी गई हैं और आदमी उनके भीतर बैठ गया है। और यह आदमियत स्वस्थ नहीं हो सकेगी जब तक कि चारों तरफ उठी हुईं दीवालों को हम गिरा कर प्रकृति से वापस संबंधन बांध सकें।
परमात्मा के संबंध सबसे पहले प्रकृति के सान्निध्य के रूप में ही उत्पन्न होते हैं। परमात्मा से सीधा क्या संबंध हो सकता है? सीधा परमात्मा तक क्या पहुंच हो सकती है? उस अनंत पर हमारे क्या हाथ हो सकते हैं? हमारे क्या पैर बढ़ सकते हैं? लेकिन जो निकट है, जो चारों तरफ मौजूद है, उसके बीच और हमारे बीच की दीवालें तो गिराई जा सकती हैं। उसके बीच और हमारे बीच द्वार तो हो सकता है, खुले झरोखे तो हो सकते हैं। लेकिन वे नहीं हैं। और प्रकृति का सान्निध्य कुछ मूल्य पर नहीं मिलता, बिलकुल मुफ्त मिलता है। लेकिन हमने वह छोड़ दिया । हमें उसका खयाल नहीं रह गया है। आदमी की पूरी आत्मा इसीलिए रुग्ण हो गई है।
ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुः
• क्या हैं झूठे ज्ञान से मुक्ति के उपाय?
• आनंद का भाव कैसे विकसित हो?
• क्या अर्थ है अभेद का? अद्वैत का?
• कृतज्ञ कैसे हों?

ISBN10-9391951147
Shunya Samadhi (शून्य समाधि)-0
Shunya Samadhi (शून्य समाधि) by osho
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Shunya Samadhi (शून्य समाधि) By Osho
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Shunya Samadhi (शून्य समाधि) By Osho

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है। हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

ओशो के अनुसार शून्य समाधि का क्या अर्थ है?

शून्य समाधि का अर्थ है पूर्ण शून्यता, जहां मन पूरी तरह से शांत हो जाता है। यह स्थिति आत्मज्ञान की ओर ले जाती है, जहां व्यक्ति अहंकार से मुक्त होकर शुद्ध चेतना का अनुभव करता है।

ओशो के अनुसार शून्य समाधि का क्या अर्थ है?

शून्य समाधि का अर्थ है पूर्ण शून्यता, जहां मन पूरी तरह से शांत हो जाता है। यह स्थिति आत्मज्ञान की ओर ले जाती है, जहां व्यक्ति अहंकार से मुक्त होकर शुद्ध चेतना का अनुभव करता है।

ध्यान में शून्यता का क्या महत्व है?

शून्यता से व्यक्ति अपने भीतर की गहराई और सच्ची शांति को महसूस कर सकता है। यह अहंकार को समाप्त कर आत्म-बोध की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करती है।

शून्य समाधि किसे पढ़नी चाहिए?

यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो ध्यान, आत्म-जागृति और गहरे आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में हैं। यह पाठक को शून्यता और आंतरिक स्थिरता का अनुभव करने की दिशा में प्रेरित करती है।

ओशो शून्य समाधि में आत्मज्ञान को कैसे परिभाषित करते हैं?

ओशो के अनुसार, आत्मज्ञान वह स्थिति है जब मन और विचार पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं। इसमें व्यक्ति शून्यता की स्थिति में पहुंचता है और शुद्ध चेतना का अनुभव करता है

शून्य समाधि में मौन का क्या महत्व है?

मौन शून्यता की स्थिति का प्रतीक है, जो व्यक्ति को आंतरिक शांति और स्थिरता की ओर ले जाता है। ओशो इसे आत्म-जागृति का महत्वपूर्ण साधन मानते हैं।

Additional information

Weight 240 g
Dimensions 21.59 × 13.09 × 0.9 cm
Author

osho

ISBN

9789391951146

Pages

80

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9391951147

Flipkart

https://www.flipkart.com/shunya-samadhi/p/itm25f3719858685?pid=9789391951146

ISBN 10

9391951147